नई दिल्ली। एयरलाइन इंडस्ट्री बहुत ज्यादा कॉम्पिटेटिव है और कई कंपनियां भारी घाटे में चल रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि देश भर में हवाई किराए की लिमिट के लिए कोर्ट द्वारा कोई निर्देश जारी करना ठीक नहीं होगा। कोर्ट ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि बाजार की ताकत ही टिकटों का दाम तय करेंगी।
ऑटो रिक्शा का किराया एयरलाइंस के किराए से ज्यादा
कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि आज हवाई सेवाएं देने वाली किसी भी एयरलाइन को देखें तो ये साफ हो जाता है कि यह एक बेहद प्रतिस्पर्धी उद्योग है। मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस पीएस अरोड़ा की अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि “एक ऑटो रिक्शा का किराया आज एयरलाइंस के किराए से अधिक है।” इसके साथ ही अदालत ने ये साफ कर दिया कि वह इस संबंध में जल्द ही एक विस्तृत आदेश पारित करेगी।
युगल पीठ ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि ” आप पाएंगे कि जो लोग एयरलाइंस चला रहे हैं, वे भारी घाटे में हैं।” पीठ ने कहा, “यह एक अच्छी तरह से नियंत्रित क्षेत्र है और हर उद्योग जो अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, उसके साथ छेड़छाड़ की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है।” कोर्ट ने कहा कि छिटपुट घटनाओं के लिए अदालत को इस मुद्दे पर जनहित याचिकाओं (PIL) पर विचार करने और विमानन क्षेत्र को किसी नए नियम से बांधने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। यह दोनों याचिकाएं अमित साहनी और उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता बेजोन मिश्रा ने दाखिल की थीं। इसमें पीक सीजन में विमानन कंपनियों द्वारा मनमाना किराया वसूलने पर रोक लगाने और किराए की लिमिट तय करने की मांग की गई थी।
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