भोपालमध्य प्रदेश

कोलार सिक्सलेन पर कांग्रेस ने उठाए सवाल; कहा- चुनावी चंदा जुटाने मकानों में लगवाए अतिक्रमण के लाल निशान

भोपाल। कोलार सिक्सलेन रोड को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस का कहना है कि यह सब चुनावी चंदे के लिए किया गया है। मप्र कांग्रेस के प्रवक्ता अमिताभ अग्निहोत्री ने बुधवार को इस संबंध में एक प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि यह 2023 के चुनाव के लिए फंड इकट्ठा करने की मंशा से किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोलार सिक्सलेन रोड का कानून के अनुसार नोटिफिकेशन प्रकाशित नहीं किया गया।

बिना चौड़ाई बताए लगाए दिए निशान

अग्निहोत्री ने कहा कि टेंडर में रोड की चौड़ाई का जिक्र नहीं किया गया है। बिना सड़क की चौड़ाई बताए लोगों के घरों पर 2 फीट से लेकर 18 फीट तक अतिक्रमण के लाल निशान लगा दिए गए। यही नहीं, रोड बनाने से पहले सीवर लाइन, पेयजल लाइन, बिजली लाइन, गैस लाइन नहीं बनाई गई। सिक्सलेन के मानकों के अनुसार पैदल पथ, सर्विस रोड, मेट्रो लाइन आदि की जानकारी भी नहीं बताई गई।

इन वजहों से हो रहा विरोध

  1. कोलार घनी बस्ती एवं बाजार का क्षेत्र है। यहां कॉलोनी, दुकानों की सर्विस रोड और पैदल पथ मार्ग बनाना अनिवार्य होगा।
  2. मेट्रो का स्थान निश्चित करना होगा, इस प्रकार लगभग कम से कम 8 लेन की जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता होगी।
  3. भाजपा सरकार ने अधूरे सर्वे के आधार पर रोड निर्माण का कार्य शुरू करवाया है।
  4. दुनियाभर में पर्यावरण कारणों से सीमेंट-कांक्रीट रोड का विरोध हो रहा है।
  5. इसकी लागत डामर रोड की अपेक्षा काफी अधिक तो होती ही है, यह पर्यावरण के लिहाज से भी सही नहीं है।
  6. सिक्सलेन के स्थान पर एलोकेटेड हाईवे बनाया जा सकता है। लेकिन इस पर भी विचार नहीं किया गया।

तीन किमी का सर्वे ही नहीं

अग्निहोत्री ने कहा कि सूचना के अधिकार में हमें नोटिफिकेशन की जानकारी नहीं मिली। इसमें रोड की लंबाई 15.10 किमी बताई, लेकिन चौड़ाई नहीं बताई। उन्होंने सवाल किया कि लोगों के घरों में 2 फीट से लेकर 18 फीट तक अतिक्रमण के लाल निशान कैसे लगाए गए। आरटीआई में बताया गया कि सर्वधर्म पुल से गोल जोड़ सड़क की ओर जाते समय कोलार मेन रोड के दाहिने और 65 फीट और बाईं ओर 45 फीट का स्थल पर चिह्नांकन लोक निर्माण विभाग के प्रतिनिधियों के साथ जाकर प्रारम्भिक निशान लगाए गए। इस सर्वे में सर्वधर्म पुल से चूनाभट्टी होते हुए कोलार तिराहे के वीआईपी बस्ती का सर्वे करीब 3 किमी का सर्वे नहीं किया या अधूरे सर्वे के आधार पर टेंडर कैसे प्रभावित किया गया।

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