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अतीक का सफर : 18 साल की उम्र में पहला मर्डर… 5 बार विधायक फिर सांसद, माफिया ने ऐसे तय किया जुर्म से राजनीति तक का सफर

लखनऊ। यूपी के चर्चित उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी माफिया अतीक अहमद और उसके भाई खालिम अजीम उर्फ अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले अतीक के बेटे की एनकाउंटर में मौत हो गई थी। अतीक अहमद का राजनीतिक इतिहास भी बहुत पुराना है। आइए, इसके बारे में जानते हैं…

माफिया अतीक के गुनाहों की लिस्ट बहुत लंबी है, उसके खिलाफ हत्या और अपहरण सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। वह माफिया था, गैंग लीडर था, हिस्ट्रीशीटर था, बाहुबली था, दबंग था। साथ ही आतंक का दूसरा नाम भी था। लेकिन इन सबके बावजूद बाद 5 बार विधायक और एक बार उस फूलपुर सीट से सांसद भी रहा, जहां से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू लोकसभा का चुनाव लड़ते थे।

18 की उम्र में रखा जुर्म की दुनिया में कदम

तत्कालीन इलाहाबाद यानी प्रयागराज के चकिया इलाके में में अतीक अहमद का जन्म हुआ था। 10वीं में फेल होने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। महज 18 साल की उम्र में उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा। 62 साल के माफिया अतीक के खिलाफ पहला आपराधिक मामला 44 साल पहले 1979 में सामने आया था। जब अतीक पर हत्या करने का आरोप लगा था।

यही से ही अपराध जगत में नाम बनाना शुरू कर दिया। उस समय उत्तर प्रदेश राजनीतिक अस्थिरता और राष्ट्रपति शासन के कई दौरों से गुजर रहा था। रिपोर्टों के मुताबिक, अतीक प्रयागराज, फिर इलाहाबाद और पूर्वी यूपी के अन्य हिस्सों में जबरन वसूली और जमीन हड़पने के गिरोह का सरगना बन गया।

राजनीति में अतीक की एंट्री

  • अतीक का इसके बाद राजनीति में प्रवेश हुआ। अतीक अहमद साल 1989 में पहली बार इलाहाबाद (पश्चिमी) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बना।
  • साल 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और विधायक भी बना। 1996 में इसी सीट पर समाजवादी पार्टी ने अतीक को टिकट दिया और वह फिर से विधायक चुना गया।
  • साल 2002 में अपना दल से ही चुनाव लड़ा पुरानी सीट से और 5वीं बार शहर पश्चिमी से विधानसभा में पहुंच गया।
  • साल 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी और अतीक की समाजवादी पार्टी में वापसी हुई।
  • साल 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से चुनाव लड़ा और संसद पहुंच गया। यह कभी जवाहर लाल नेहरू की लोकसभा सीट थी।

यहां से खत्म हुआ राजनीतिक सफर

राजनीति सफर के दौरान अतीक को 2005 में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया। 2006 में राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल के अपहरण का आरोप लगा। इसके दो साल बाद 2008 में अतीक ने यूपी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और समाजवादी पार्टी ने निष्कासित कर दिया।

राजू पाल हत्याकांड से जुड़े हैं तार

इसी साल 24 फरवरी (2023) को प्रयागराज में सरेआम उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा गार्डों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की पत्नी जया पाल की तहरीर पर 25 फरवरी को अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, साथी गुड्डू मुस्लिम व गुलाम के अलावा 9 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

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