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असम कोयला खदान हादसा : 5 दिन बाद मिला दूसरा शव, अब भी 7 मजदूर 300 फीट गहरी खदान में फंसे, 6 जनवरी को हुआ था हादसा

दीमा हसाओ। असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान से शनिवार (11 जनवरी) को एक और शव निकाला गया। अब तक दो शव निकाले जा चुके हैं, पहला शव बुधवार (8 जनवरी) को निकाला गया था। 6 जनवरी को खदान में पानी भरने के कारण 9 मजदूर फंस गए थे, जिनमें से 7 अब भी खदान में फंसे हुए हैं। एयरफोर्स और सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। खदान में पानी का स्तर कुछ कम हुआ है, जिसे निकालने के लिए दो मोटर पंप लगाए गए हैं। पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर इस राहत कार्य की जानकारी दी है।

कैसे हुआ हादसा

हादसा 6 जनवरी को असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में हुआ। उस समय मजदूर 300 फीट गहरी कोयला खदान में कोयला निकाल रहे थे। दीमा हसाओ जिले के एसपी मयंक झा ने बताया कि, खदान में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, खदान में अचानक पानी का तेज बहाव आ गया। खदान में काम कर रहे मजदूरों को बाहर निकलने का समय नहीं मिल पाया और वे अंदर ही फंस गए। घटना के बाद तुरंत इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।

11 जनवरी को किसका मिला शव

लिजान मगर, असम कोयला खदान, पीएस उमरांगसो, जिला: दिमा हसाओ, असम

8 जनवरी को किसका मिला शव

गंगा बहादुर श्रेठ, रामपुर (दुम्मना-2 भिजपुर), पीएस थोक्सिला, जिला: उदयपुर, नेपाल

कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम

  1. जाकिर हुसैन, 4 नंबर सियालमारी खुटी, थाना दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
  2. सर्पा बर्मन, खलिसनिमारी, थाना गोसाईगांव, जिला: कोकराझार, असम
  3. हुसैन अली, बागरीबारी, थाना श्यामपुर, जिला: दर्रांग, असम
  4. मुस्तफा शेख, बागरीबारी, पीएस दलगांव, जिला: दर्रांग, असम
  5. खुसी मोहन राय, माजेरगांव, थाना फकीरग्राम, जिला: कोकराझार, असम
  6. संजीत सरकार, रायचेंगा, जिला: जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल
  7. सरत गोयारी, थिलापारा, बताशीपुर, डाकघर पनबारी, जिला: सोनितपुर, असम

क्या होती है रैट माइनिंग

घटना जिस खदान में हुई, वह एक रैट माइनिंग खदान है। रैट होल माइनिंग में मजदूर चूहे की तरह पतले छेदों में घुसकर कोयले की खुदाई करते हैं। इसमें हाथ से खुदाई और मलबे को बाहर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया बेहद खतरनाक होती है और मजदूरों की सुरक्षा के लिए खतरा बनती है।

रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने शुरू किया था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2014 में इस पर पाबंदी लगा दी थी, क्योंकि एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि, खास परिस्थितियों में, जैसे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान, रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है।

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