
सुप्रीम कोर्ट ने घर के निर्माण के लिए पैसे की मांग को भी दहेज बताते हुए अपराध माना है। मंगलवार को दहेज मृत्यु के एक मामले में एक व्यक्ति और उसके पिता की दोषसिद्धि और सजा बहाल करते हुए कहा कि मकान बनाने के लिए धनराशि की मांग करना दहेज की मांग है।
महिला से किसी भी तरह की मांग…दहेज मांग
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा, दहेज शब्द को एक व्यापक अर्थ के रूप में वर्णित किया जाना चाहिए, ताकि एक महिला से किसी भी मांग को शामिल किया जा सके, चाहे संपत्ति के संबंध में हो या किसी भी तरह की मूल्यवान चीज।
घर बनाने के लिए पैसे की मांग कर रहा था पति
निचली अदालत ने इस मामले में मृतका के पति और ससुर को आईपीसी की धारा-304-बी (दहेज हत्या), आत्महत्या के लिए उकसाने और दहेज उत्पीड़न के तहत दोषी ठहराया था। जांच में पाया गया कि, आरोपी मरने वाली महिला से घर बनाने के लिए पैसे की मांग कर रहा था, जो उसके परिवार के सदस्य देने में असमर्थ थे।
MP हाईकोर्ट ने कही थी ये बात
घर बनाने के लिए पैसे की मांग को लेकर महिला को लगातार परेशान किया गया, जिसकी वजह से उसने आत्महत्या कर ली। इस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा, घर के निर्माण के लिए पैसे की मांग को दहेज की मांग के रूप में नहीं माना जा सकता है।
हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं SC
हाईकोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए पीठ ने कहा, ‘प्रावधान (दहेज अधिनियम) के आलोक में, जो ‘दहेज’ शब्द को परिभाषित करता है और किसी भी प्रकार की संपत्ति या मूल्यवान वस्तु को अपने दायरे में लेता है। धारा-304 बी के प्रावधान समाज में एक निवारक के रूप में कार्य करने व जघन्य अपराध पर अंकुश लगाने के लिए हैं।
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