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वेतन न मिलने से गुस्साए नगर निगम कर्मचारी कमिश्नर के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे, आश्वासन पर खत्म हुआ प्रदर्शन, एक सप्ताह में सैलरी नहीं तो चुनाव से पहले करेंगे काम बंद हड़ताल

भोपाल। साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नगर निगम के 20 हजार कर्मचारियों का गुस्सा सरकार पर भारी पड़ सकता है। भोपाल नगर निगम में समय पर वेतन न मिलने से गुस्साए कर्मचारियों ने आज से निगम प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वेतन की लेटलतीफी से परेशान कर्मचारी आईएसबीटी स्थित निगम कमिश्नर के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। इसकी जानकारी लगते ही खुद निगम कमिश्नर अपने ऑफिस पहुंचे और जल्द भुगतान का आश्वासन देकर धरना खत्म कराया। हालांकि कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि अगर एक सप्ताह के भीतर वेतन नहीं मिला तो निगम में काम बंद हड़ताल की जाएगी, जिससे नगिम के चल रहे सभी काम रुक जाएंगे।

हर महीने सैलरी की लेटलतीफी

भोपाल नगर निगम में तीन साल पहले तक हर कर्मचारी को समय पर तनख्वाह का भुगतान हो जाता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। सरकार के नियम के तहत महीने के पहले सप्ताह और अधिकतम महीन की 10 तारीख तक कर्मचारियों का वेतन कर दिया जाना चाहिए। कर्मचारी नेता रवि सबनानी साफ कहते है कि अब भोपाल नगर निगम के खजाने में अब इतनी रकम ही नहीं होती कि कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके। भोपाल में पदस्थ नगर निगम नगर पालिक कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अशोक वर्मा का आरोप है कि निगम के मिस मेनेजमेंट की वजह से ये हालात बने हैं और समय पर वेतन न मिलने के कारण लोन लेने वाले कर्मचारियों की किस्तें समय पर नहीं भर पाती जिससे उन्हें मजबूरन हर माह अकारण ब्याज चुकाना पड़ रहा है।

ये है BMC  में कर्मचारियो का गणित

नियमित कर्मचारी     –     4000 (लगभग)

विनियमित कर्मचारी   –     1250 (लगभग)

दैनिक वेतन भोगी    –     14000 (लगभग)

अन्य कर्मंचारी             –     750 (लगभग)

कुल कर्मचारी        –     20000 (लगभग)

वेतन पर कुल खर्च    –     35 करोड़ रूपए प्रति माह (लगभग)

चुंगी की राशि लेट, एफडी टूटने से भी आया आर्थिक संकट

प्रदेश सरकार से सभी नगर निगमो को चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि मिलती है। शासन से हर महीने मिलने वाली ये रकम कभी समय पर मिल नहीं पाती, जिससे वेतन का भुगतान नहीं हो पाता। इसके साथ ही भोपाल नगर निगम के पास रिजर्व फंड के रूप में 90 करोड़ रूपए की एफडी थी, जिसके मासिक ब्याज से भी वेतन का एक हिस्सा निकल जाता था, लेकिन अफसरो ने विकास कार्यों का हवाला देकर ये एफडी तुड़वा दी। नगर निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलासानी की नजर में वेतन का कोई संकट निगम में नहीं है। जैसे-जैसे राशि उपलब्ध होती है उस हिसाब से कर्मचारियों को सैलरी दे दी जाती है। हालांकि वे खुद कहते है कि निगम में छोटे कर्मचारियों को पहले और बड़े कर्मचारियों और अधिकारियों को बाद में वेतन दिया जा रहा है।

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