पीपुल्स संवाददाता.इंदौर। इंदौर-देवास बायपास के काम की गुणवत्ता और बाद में एग्रिमेंट के मुताबिक जनता को सुविधाएं नहीं देने पर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने जिम्मेदारों को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सुजाय पॉल और जस्टिस अनिल वर्मा की डबल बेंच ने सोमवार को सुनवाई करते हुए छह सप्ताह में जवाब तलब किया है। यह याचिका मातृ फाउंडेशन ने 21 सितंबर को दायर की है।
हैदराबाद की कंपनी को मिला है ठेका
फाउंडेशन के अधिवक्ता अमय बजाज ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि हाईकोर्ट की निगरानी में एक कमेटी बने, जो बायपास के मेंटेनेंस व रिपेयर की जांच करें। याचिका में कहा गया है कि बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर) प्रोजेक्ट के तहत नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने हैदराबाद की कंपनी गायत्री प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को इंदौर-देवास बायपास का ठेका दिया था।
पूरे बायपास पर गड्ढे, मिट्टी का जमाव
कंपनी को एग्रीमेंट के अनुसार, स्ट्रीट लाइट, प्लांटेशन, कैटल क्रॉसिंग जैसी सुविधाएं देनी थी, लेकिन ये सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। याचिका में कहा गया कि पूरे बापयास पर गड्ढे, मिट्टी-बारिश के पानी का जमाव, ड्रेनेज चोक, अनियंत्रित पेड़-पौधों के उगने से लो विजिबिलिटी के कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा जाम लगने से वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। याची ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि इस एग्रिमेंट को टर्मिनेट कर नई कंपनी को प्रोजेक्ट दिया जाए और कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर उनका लाइसेंस रद्द किया जाए।
इनको दिया नोटिस
नेशनल हाइवेज अथॉरिटीज ऑफ इंडिया, इंदौर-देवास टॉल्वे लिमिटेड, मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेन्ट कॉर्पोरेशन, कलेक्टर इंदौर, केंद्रीय सड़क-ट्रांसपोर्ट एवं हाइवेज मंत्रालय