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1450 करोड़ से साफ होगी क्षिप्रा

सिंहस्थ-2028 : कान्ह, सरस्वती नदियों के किनारे बनेंगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

अशोक गौतम,भोपाल। उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ 2028 के लिए सरकार ने काम शुरू कर दिया है। क्षिप्रा नदी को साफ करने रोड मैप तैयार किया जा रहा है, यह रोडमैप इस माह तक बनकर तैयार हो जाएगा। इस नदी की सहायक नदियों को भी साफ किया जाएगा। इस पर सरकार करीब 1450 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करेगी। नदियों को निर्मल करने का काम नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग करेगा, जबकि नदियों को अविरल बनाने का काम जल संसाधन विभाग करेगा। इस काम की समय सीमा तीन-चार साल तय की गई है।

क्षिप्रा के साथ इसकी सहायक नदी कान्ह, सरस्वती सहित अन्य सहायक नदियों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। इन नदियों में गंदा पानी रोकने छोड़ने से रोकने का काम नगरीय निकायों का होगा। इसके लिए इंदौर, उज्जैन और देवास के कलेक्टरों को संयुक्त रूप से डीपीआर तैयार करने के लिए कहा गया है।

तीन जिलों के कलेक्टर करेंगे गंदगी का आकलन

तीनों जिलों के कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त इस बात का आकलन करेंगे कि इन नदियों से कितनी मात्रा में गंदा पानी रोज मिलता है, इसे रोकने में कितनी जगह पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा सकते हैं। प्लांट के संचालन की जवाबदेही तय करने के साथ साथ इसके सर्विलेंस की व्यवस्था की जाएगी।

नदियों का जल स्तर बढ़ाएंगे

कान्ह, सरस्वती और अन्य सहायक नदियों का जल स्तर बढ़ाया जाएगा। इसके लिए नदी जोड़ो अभियान में इन नदियों को शामिल किया जाएगा। नमामि गंगे के तहत पहले चरण में 511 करोड़ रुपए दूसरे चरण में 98 करोड़ और तीसरे चरण सौ करोड़ रुपए खर्च कर तीनों जिलों से बहने वाली नदियों को अविरल बनाया जाएगा।

छोटे-छोटे तालाब बनाएंगे

अमृत योजना-2 के तहत 568 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे क्षिप्रा, सरस्वती, कान्ह नदी के आस पास हरियाली बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण होगा। अमृत-2 योजना के दूसरे चरण में 278 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें नदियों के जीर्णोद्धार पर काम किया जाएगा।

कुओं का होगा कायाकल्प

कुंए, वावड़ी का भी कायाकल्प किया जाएगा। इसमें इंदौर, उज्जैन और देवास के आसपास के जिलों को शामिल किया जाएगा। इनमें गंदे पानी को बाहर निकालने और उसमें शुद्धिकरण पर काम किया जाएगा। जर्जर कुएं, बावड़ी दोबारा बनेंगे । इसके अलावा उज्जैन के सप्तसरोवर का भी कायाकल्प किया जाएगा।

इंदौर का 412 एमएलडी पानी रोज नदी में मिलता है

इंदौर शहर से रोज 412 एलएलडी पानी निकलता है। ये पानी विभिन्न नाले- नालियों से गुजरकर 10 विभिन्न एसटीपी पर उपचार के लिए पहुंचता है। यहां से पानी उपचारित कर क्षिप्रा में मिलने के लिए छोड़ा जाता है। अफसर, मंत्री कई मर्तबा कह चुके हैं कि कान्ह का पानी क्षिप्रा में मिलने से क्षिप्रा का जल दूषित होता है। यानी स्पष्ट है कि इंदौर में कान्ह के पानी का सही ढंग से उपचार नहीं हो रहा।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक क्षिप्रा का जल डी ग्रेड का है। इसका साफ मतलब है कि क्षिप्रा का पानी आचमन छोड़ स्नान लायक भी नहीं है।

बनाई जा रही है डीपीआर

क्षिप्रा को निर्मल और अविरल बनाने की डीपीआर बनाई जा रही है। जल संसाधन विभाग और इंदौर, देवास, उज्जैन जिले के कलेक्टर मिलकर इसकी डीपीआर तैयार कर रहे हैं। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को नोडल बनाया गया है। -भरत यादव, आयुक्त , नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मप्र

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