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साइबर अपराध से बचा सकती है सिर्फ जागरुकता: सिन्हा

सिद्धार्थ तिवारी जबलपुर। साइबर अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं, अपराधी नए-नए तरीके अपना रहे हैं, जिसमें फंसकर लोग अपने रुपए गंवा देते हैं, लेकिन इससे बचा जा सकता है यदि किसी भी संदिग्ध कॉल या वाट्सएप या मैसेज पर ध्यान दें, तो पता चल जाता है कि वह फर्जी है। जागरूकता में कमी और लापरवाही से लोगों अपनी मेहनत की कमाई ठग के हाथों में दे देते हैं। हम बात कर रहे हैं राज्य साइबर अपराध के एसपी जबलपुर लोकेश सिन्हा की। जिन्होंने अपने बेहतर प्रदर्शन से साइबर अपराध करने वालों के पसीने छुड़ा दिए हैं। लोकेश सिन्हा ने पीपुल्स से चर्चा करते हुए अपने अनुभव बताए। वे 2011 में डीएसपी पद पर पदस्थ हुए थे। जनवरी 2021 में एएसपी के पद पर पदोन्नत हुए।

दो मामलों में चुनौती थी, सुलझाने के बाद मिली खुशी

बातचीत के दौरान एसपी राज्य साइबर लोकेश सिन्हा ने बताया कि दो मामले ऐसे हैं, जिन्हें सुलझाने के बाद मन को शांति मिली थी। इसमें भोपाल के निशातपुरा में दो युवा नेताओं की बीच सड़क गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त वह निशातपुरा में सीएसपी के पद पर थे। इस घटना से लोगों में आक्रोश था और आरोपियों की तलाश भी अहम थी। आरोपी फरार थे और मुख्य आरोपी ने अपना सही नाम भी नहीं पता था। तीन माह लगातार जानकारी जुटाते हुए मुख्य आरोपी बंटी साहू को गिरफ्तार किया। आरोपी गैंग संचालित करता था और उसका क्रिमिनल रिकार्ड भी था। लेकिन किसी भी रिकार्ड में उसका सहीं नाम नहीं था, तीन माह की मेहनत के बाद उस आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसका नाम धर्मेन्द्र साहू पता चला।

आरोपी की गिरफ्तारी के बाद उसकी गैंग के सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया और सभी सबूतों को जुटाकर चालान पेश किया। एक अन्य मामले में जब वह निशातपुरा में सीएसपी थे, तब चार थाना क्षेत्रों में 36 घंटों में 6 लूट हुई थीं। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें बनाई गई थीं। उनके नेतृत्व में भी बनाई गई टीम भी लगातार जांच में जुटी थी, तभी एक लूट के पीड़ित ने जानकारी दी कि आरोपी एक स्थान का पता पूछते थे और फिर मिर्ची झोंककर बका मारकर लूट कर देते थे। वह जगह दूर थी, जिसके बाद उस स्थान पर गए और आरोपियों का सुराग मिला। आरोपी मामा, भांजे थे, जो गैंग संचालित करते थे। आरोपियों को घटना के 6 घंटे के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया गया था।

कर्मचारियों से लगातार सीधा संवाद करते हैं

कर्मचारियों से लगातार सीधा संवाद करते हैं, ताकि वह तनाव में हैं, तो वह अपनी परेशानी को उनको बता सकें। इसके लिए हर कर्मचारी का जन्मदिन मनाया जाता है, जिसके बाद उससे बातचीत की जाती है और उससे परिजन और उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करते हैं। इससे कर्मचारियों का स्ट्रेस भी कम होता है और वह अपनी परेशानी उन्हें बेहिचक बता देते हैं।

ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के तरीके

  • किसी भी अंजान व्यक्ति को किसी भी सरकारी योजना के नाम पर अपना अंगुल चिन्ह या थंब इंप्रेशन न दें।
  • फोन पर किसी भी अंजान व्यक्ति से बैंक से संबंधित जानकारी साझा न करें।
  • समय समय पर अपना पासवर्ड बदलते रहें। वैवाहिक धोखाधड़ी से सावधान रहें। मेट्रोमोनियल साइट्स पर प्रोफाइल में दी गई जानकारियों को विश्वसनीय सूत्रों से सत्यापित कर लें।
  • किसी भी वेबसाइट पर शॉपिंग करने से पहले जांच करें कि वह वेबसाइट सही है या नहीं, सिक्योर व वेरिफाइड वेबसाइट के माध्यम से ही शॉपिंग करें।
  • एटीएम बूथ में पैसे निकालते समय अपना पिन छिपाकर डालें। अपना एटीएम कार्ड कभी भी किसी अंजान व्यक्ति को न दें।।
  • सार्वजनिक स्थानों पर पब्लिक वाई-फाई का उपयोग न करें।
  • इंस्टैंट लोन देने वाले एप की सत्यता की जांच करने के बाद ही अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल करें।
  • किसी भी एप को डाउनलोड करते समय कोई भी परमीशन बिना पढ़े अलाउ न करें।
  • किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक न करें।
  • किसी भी संस्था का कस्टमर केयर नंबर उस संस्था की अधिकारिक वेबसाइट से ही प्राप्त करें।
  • वेबसाइट के संबंध में कस्टमर रिव्यूज का अवलोकन अवश्य करें। क्रेडिट कार्ड को एक्टीवेट करने के लिए किसी अंजान व्यक्ति को अपनी गोपनीय जानकारी या ओटीपी पिन शेयर न करें।

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