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Year Ender 2021: विद्या बालन की ‘शेरनी’ से कंगना की ‘थलाइवी’ तक, इन 8 फिल्मों में दिखा वुमन पावर

21वीं सदी यानी की आज के समय में बनने वाली फिल्में 90 के दशक में बनने वाली फिल्मों से काफी अलग हैं। 90s की अग बात करें तो उस समय फिल्में हिरो के ही इर्द गिर्द घुमती थी। वहीं महिलाओं को मजबूर मां, भोली-भाली पत्नी, प्यारी सी बहन, प्यार में पागल प्रेमिका, अपनी सीमा में रहने वाली बेटी के रोल में दिखाया जाता था। लेकिन अब वो वक्त आ गया है जब न केवल महिलाओं पर फिल्म बन रही है, बल्कि महिला प्रधान फिल्में भी रिलीज हो रही हैं।

21वीं सदी की फिल्मों में महिलाओं को मजबूत, निडर, साहसी और खुद के हक के लिए लड़ते हुए दिखाया जा रहा है। इस साल ऐसी ही कुछ फिल्में, दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए आईं।

शेरनी

शेरनी

फिल्म शेरनी विद्या बालन ने एक वन अधिकारी का रोल निभाया है, जो मानव-पशु संघर्ष को सुलझाने की कोशिश करती है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक महिला को पुरुष प्रधान दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। काम और घर पर पुरुष प्रधान मानसिकता को चुनौती देते हुए विद्या साहसिक बयान नहीं देती हैं। अमित मसुरकर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में विद्या ने अपने सूक्ष्म और संयमित व्यवहार से दर्शकों को अपने किरदार से खूब प्रभावित किया।

मिमी

मिमी

कृति सेनन की फिल्म मिमी सरोगेसी पर आधारित थी। इस फिल्म में एक्ट्रेस ने एक छोटे शहर की लड़की का रोल प्ले किया है, जो फिल्म इंडस्ट्री में कुछ बड़ा करने का सपना देखती है। लेकिन अपने सपने को साकार करने के लिए उसके पास इतने पैसे नहीं होते हैं। पैसों की कमी को देखते हुए वह एक विदेशी जोड़े के लिए सरोगेट बनने के लिए मान जाती है, लेकिन अप्रत्याशित परिणाम सामने आते हैं और वह खुद ही बच्चे की परवरिश करने लगती है।

रश्मी रॉकेट

रश्मी रॉकेट

रश्मि रॉकेट एक छोटे शहर की लड़की के बारे में है जो एक एथलीट बनने की ख्वाहिश रखती है। इसमें लीड रोल में तापसी पन्नू थीं। आकर्ष खुराना द्वारा निर्देशित इस स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म में दिखाया गया है कि, वो लड़की राष्ट्रीय स्तर पर फास्ट-रनर बनने में सफल हो जाती है, लेकिन उसकी खुशी और महिमा में बाधा आती है क्योंकि उसे लिंग परीक्षण कराने के लिए कहा जाता है। फिल्म में अभिषेक बनर्जी और प्रियांशु पेन्युली भी हैं।

त्रिभंगा

त्रिभंगा

त्रिभंगा एक तीन पीढ़ी की कहानी है जिसमें काजोल, तन्वी आजमी और मिथिला पालकर मुख्य भूमिका में हैं। ये महिलाएं अपने लिए चुनी हुई जिंदगी जीना चाहती हैं, चाहे उन पर किसी भी तरह की उम्मीदें और फैसले क्यों न थोपे जाएं। त्रिभंगा अपने सभी अपूर्ण वैभव में मातृत्व को दर्शाता है।

छोरी

छोरी

नुसरत भरुचा-स्टारर फिल्म छोरी एक गर्भवती महिला के बारे में है जो अपने बच्चे को अलौकिक और सामाजिक बुराइयों से बचाने की कोशिश कर रही है। यह मराठी फिल्म लपाछापी (2017) का हिंदी रीमेक है। फिल्म एक दिलचस्प कहानी पर मंथन करती है जो एक ही समय में थ्रिलिंग और चिलिंग है।

पग्लैट

पग्लैट

सान्या मल्होत्रा पग्लैट में एक युवा विधवा की भूमिका निभा रही हैं। जो अपने पति की मौत का शोक मनाते हुए संघर्ष कर रही हैं। वह दुःख में खुद को खोने के बजाय त्रासदी के सामने अपनी पहचान खोजने की कोशिश करती है। उमेश बिष्ट द्वारा निर्देशित, यह सामाजिक ड्रामा हमारे विवाह-ग्रस्त समाज के लिए एक उपयुक्त उत्तर है।

साइना

साइना

परिणीति स्टारर फिल्म साइना, बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की बायोपिक है। इस फिल्म में वो साइना के करियर में आए उतार-चढ़ाव को दिखाती हैं। इस मूवी में साइना नेहवाल के अब तक सफर को दिखाया गया है कि, कैसे उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है।

थलाइवी

थलाइवी

थलाइवी तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की बॉयोपिक पर आधारित है। इस फिल्म में कंगना रनौत ने जबरदस्त किरदार निभाया। इस मूवी में जयललिता कैसे राजनीति में आती हैं और उन्हें किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही वो बिना हार माने कैसे प्रदेश की सीएम की कुर्सी तक का सफर तय करती हैं। इसमें बहुत ही बाखूबी से उनका यह सफर फिलमाया गया है।

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