धर्म

छठ पर्व का चौथा दिन आज: उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ चार दिवसीय महापर्व

आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिनों तक चले इस पर्व का समापन हो गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 10 नवंबर, बुधवार को थी। छठ पर्व की शुरुआत 8 नवंबर को नहाए-खाय के साथ हुई थी। 10 नवंबर को छठ पर्व का दूसरा दिन खरना मनाया गया। 10 नवंबर को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया और 11 नवंबर यानी आज को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पर्व संपन्न होगा।

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छठ पूजा करने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

छठ पर्व में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं को अनुसार, छठ व्रत खास तौर पर संतान प्राप्ति और उसकी खुशहाली के लिए रखा जाता है। जो लोग संतान सुख से वंचित हैं, उनके लिए यह व्रत लाभकारी साबित होता है। मान्यता है कि छठ पूजा करने से छठी मइया की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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दो बार मनाया जाता है छठ पर्व

छठ पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले छठ की अधिक मान्यता है और इसी महीने में लोग इस पर्व को व्यापक रूप से मनाते हैं।

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सूर्य की बहन है छठी मैया

शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं, उन्हीं को खुश करने के लिए ये पर्व मनाया जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए खुद को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया। सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने की वजह से इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है। बच्चे के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है। इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है।

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