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ऑस्ट्रेलियाई लैब से गायब हुए वायरस के 323 सैंपल्स, दुनियाभर में अलर्ट जारी

हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं वायरस के नमूने

ब्रिस्बेन। कोराना वायरस ने साल 2020 और 2021 में दुनियाभर में तबाही मचाई और महामारी से लाखों लोगों की जान गई। इसबीच ऑस्ट्रेलिया में कोरोना की तरह घातक वायरस के सैकड़ों नमूने लैब से गायब हो गए हैं। क्वींसलैंड के स्वास्थ्य मंत्री टिम निकोल्स ने बताया कि जीवित वायरस के 323 सैंपल लापता हैं। इनमें हेंड्रा वायरस के 100 सैंपल, हंता वायरस के सैंपल और लासा वायरस की 223 सैंपल शामिल हैं। ये सभी वायरस इंसानों के लिए बेहद घातक हैं। इन घातक वायरस के नमूने गायब होने के बाद दुनियाभर में हड़कंप मच गया है, क्योंकि क्वींसलैंड के अधिकारियों का कहना है कि इन नमूनों को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

उन्होंने इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह किसी शौकिया व्यक्ति द्वारा किया गया काम नहीं है, इसे किसी एक्सपर्ट ने किया होगा। नमूने साल 2021 में गायब हुए थे, लेकिन जांचकर्ताओं ने अब इसका खुलासा किया है। बता दें, डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ये सभी वायरस इंसानों के लिए घातक हैं, जिन्हें ढूंढना जरूरी है।

फ्रीजर हो गया था खराब, उस वक्त गायब हुईं शीशियां

क्वींसलैंड के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी जॉन गेरार्ड ने कहा, लैब से घातक वायरस की शीशियां उस वक्त गायब हुई थीं, जब जिस फ्रीजर में उन्हें रखा गया था, वह खराब हो गया था। इसके बाद इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि इन्हें ट्रांसफर कहां किया गया। उन्होंने कहा कि इन वायरस के नमूनों के गायब होने से अभी तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं हुआ है। यह जरूरी है कि ध्यान रखा जाए कि वायरस के नमूने कम तापमान वाले फ्रीजर से बाहर बहुत जल्दी विघटित हो जाते हैं और गैर-संक्रामक हो जाते हैं।

जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का किया गया उल्लंघन : स्वास्थ्य मंत्री टिम निकोल्स ने बताया कि सरकार ने इस मामले को जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल के प्रमुख ऐतिहासिक उल्लंघन के रूप में वर्णित किया और अब अधिकारियों ने इस घटना की गहरी जांच शुरू की है। हालांकि, सरकार का कहना है कि फिलहाल इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये वायरस के नमूने चोरी हुए हैं या नष्ट किए गए हैं, और इससे समुदाय के लिए किसी प्रकार का जोखिम भी उत्पन्न नहीं हुआ है।

सरकार ने जांच के दिए निर्देश : क्वींसलैंड के स्वास्थ्य मंत्री टिम निकोल्स ने कहा कि सरकार ने इस घटना के बाद मामले की जांच शुरू कर दी, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस घटना पर रिएक्ट करते समय कुछ भी अनदेखा नहीं किया गया। इसमें लैब की वर्तमान नीतियों और प्रक्रियाओं की जांच की जाएगी, साथ ही कर्मचारियों के आचरण और विनियामक अनुपालन पर भी विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही इन शीशियां ढूंढ लिया जाएगा।

इंसानों के लिए जानलेवा

  • हेंड्रा वायरस मुख्य रूप से घोड़ों को संक्रमित करता है, लेकिन यह इंसानों में भी फैल सकता है। वायरस से अनुमानित मृत्यु दर 57 प्रतिशत है। इस वायरस की पहली बार 1994 में ब्रिसबेन के उपनगर हेंड्रा में 21 रेसहॉर्स और दो इंसानों के संक्रमित होने के बाद खोज की गई थी।
  • हंता वायरस भी एक पशु-जनित या जूनोटिक वायरस है, जो चूहों में उत्पन्न होता है और उनके मल, मूत्र और लार से फैलता है। मनुष्यों में हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम का कारण बनता है, जिससे बुखार, ठंड लगना, मतली, दस्त और फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है। सभी लक्षण वाले मामलों में से 38 प्रतिशत में यह संक्रमण जानलेवा होता है।
  • लासा वायरस रेबीज का एक रूप है, जो इंसानों और अन्य स्तनधारियों को संक्रमित कर सकता है। एक बार जब लासा वायरस संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, तो इसका कोई ज्ञात इलाज नहीं है।

स्वास्थ्य के लिए बड़ी चूक

वायरसों के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही जैव सुरक्षा में बड़ी चूक हो सकती है। इन वायरसों को सही जगह पर न रखना स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है। – सैम स्कार्पिनो, निदेशक, नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी, बोस्टन

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