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14 मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के 30% पद खाली, इधर 16 नए कॉलेज खोलने की तैयारी

प्रदेश के 11 मेडिकल कॉलेजों में डीन तक नहीं हैं, सपोर्टिंग स्टाफ के भी आधे पद ही भरे

भोपाल। मप्र में वर्तमान में 14 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। वहीं डेढ़ दर्जन और नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। इनमें से पांच कॉलेज अगले सत्र में शुरू हो सकते हैं। गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक ने दिल्ली में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के अधिकारियों से मुलाकात कर चार नए मेडिकल कॉलेजों में निरीक्षण के लिए आवेदन भी दिया। इधर, पुराने 14 मेडिकल कॉलेज टीचिंग स्टाफ और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के मौजूदा 14 मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के 2,917 पद हैं, जिसमें से 843 पद खाली पड़े हुए हैं। यानी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में करीब 30 फीसदी पद खाली हैं। 11 मेडिकल कॉलेजों में तो डीन तक नहीं हैं। यही नहीं, इन मेडिकल कॉलजों में सपोर्टिंग स्टाफ यानी नर्सिंग, फार्मासिस्ट और लैब टेक्नीशियन के भी आधे पद खाली पड़े हुए हैं। मालूम हो कि वर्तमान में प्रदेश में 14 सरकारी और 12 निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इनमें एमबीबीएस सीटों की संख्या साढ़े चार हजार के करीब है। 16 नए कॉलेजों में 1600 सीटें बढ़ने से प्रदेश में 40 मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे। वहीं एमबीबीएस की सीटों की संख्या बढ़कर 6,100 से ज्यादा हो जाएगी।

पदों को भरने की जगह लगाते हैं जुगाड़ :

इधर, जानकारों का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के खाली पद पर भर्ती करने की जगह जुगाड़ से काम चला रहा है। जानकारी के अनुसार, एनएमसी के निरीक्षण के दौरान मान्यता बचाने के लिए विभाग द्वारा पद भरने की बजाय एक कॉलेज से दूसरे कॉलेजों में विशेषज्ञों को भेज दिया जाता है। इससे मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों का संकट और ज्यादा बढ़ जाता है।

इस साल शुरू होंगे पांच नए कॉलेज

चिकित्सा शिक्षा विभाग के मुताबिक, विभाग द्वारा सत्र 2024-25 से पांच नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाने हैं। इसके लिए एनएमसी से इन कॉलेजों का निरीक्षण कराने की तैयारी है, ताकि काउंसिलिंग में इन कॉलेजों को भी शामिल किया जा सके। नए कॉलेज मंदसौर, नीमच, सिवनी, सिंगरौली और श्योपुर में खुलना है। इसमें से श्योपुर के लिए मंजूरी मिल चुकी है।

प्रदेश में नए-नए कॉलेज शुरू किए जा रहे हैं। पुराने कॉलेजों में ही पूरी फैकल्टी नहीं हैं। विभाग के अधिकारी एनएमसी की न्यूनतम अर्हताओं को पूरा करते हुए कामचलाऊ व्यवस्थाएं बनाते हैं। ऐसे में न तो मरीजों को समय से इलाज मिल पाएगा और न ही स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन। डॉ. राकेश मालवीय, संयोजक, प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसो.

नए कॉलेजों के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस सत्र में नए कॉलेज शुरू करना चाहते हैं। ऐसे में एनएमसी को इन कॉलेजों में निरीक्षण के लिए आवेदन दिया है। नए कॉलेजों में भर्ती और पुराने कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए ओपन भर्तियां की जा रही हैं। जल्द ही सभी पदों पर भर्तियां पूरी हो जाएंगी। डॉ. एके श्रीवास्तव, संचालक, चिकित्सा शिक्षा

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