
भोपाल। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (KNP) के बड़े बाड़े से तीन और चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया है। इसके साथ ही कूनो के खुले जंगल में अब चीतों की खंख्या 6 हो गई हैं। जबकि, बड़े बाड़े में 4 शावकों सहित 11 चीते अभी भी मौजूद है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी है।
दो नर और एक मादा को छोड़ा
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान ने बताया कि 3 चीतों (अग्नि, वायु नाम के दो नर चीते और गामिनी नाम की एक मादा चीता) को शुक्रवार को कूनो के जंगलों में छोड़ा गया। इन तीनों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया गया था। चौहान ने कहा कि इसी के साथ केएनपी के जंगलों में अब तक छोड़े गए चीतों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। उन्होंने बताया कि अब बाड़ों में 11 चीते और 4 शावक हैं।
#श्योपुर : #कूनो_नेशनल_पार्क के बड़े बाड़े से तीन और #चीतों को खुले #जंगल में छोड़ा गया है। अब #कूनो के खुले जंगल में चीतों की संख्या बढ़कर 6 हो गई। चीते का #वीडियो भी सामने आया है।
(Video Source- Social Media) #KunoNationalPark #cheetah #PeoplesUpdate pic.twitter.com/H8kfy2yFb1— Peoples Samachar (@psamachar1) May 20, 2023
ओबान को बाड़े में रखा गया
अधिकारी ने बताया कि पिछले साल सितंबर में कूनो लाए गए 8 चीतों में से अब 3 मादा चीता और 1 नर चीता बाड़े में हैं। नामीबिया की एक मादा चीता को अगले कुछ दिनों में जंगल में छोड़ा जाना है। एक अन्य मादा चीता को जंगल में नहीं छोड़ा जा सका था। क्योंकि, उसने शावकों को जन्म दिया था। तीसरी मादा चीता जंगल में छोड़े जाने के लिए अभी तैयार नहीं है। अधिकारी के मुताबिक, नामीबिया का नर चीता ओबान, जो बार-बार क्षेत्र से भटककर बाहर चला जाता है, उसे भी एक बाड़े में रखा गया है।
नामीबिया-दक्षिण अफ्रीका से लाए थे चीते
गौरतलब है कि 5 मादा और 3 नर चीतों सहित 8 चीतों को नामीबिया से पिछले साल 17 सितंबर को भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत कूनो में लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को बाड़ों में छोड़ा था। इसके बाद, 7 नर और 5 मादा सहित 12 चीतों को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया।
कूनो में 4 शावकों ने लिया था जन्म
इन 20 स्थानांतरित चीतों में से 3 चीतों-दक्ष, साशा और उदय की पिछले 2 महीनों में बाड़े में मौत हो गई। वहीं, सियाया नाम के चीते ने इस साल मार्च में कूनो में 4 शावकों को जन्म दिया था। यह भारतीय भूमि पर 1947 के बाद जन्मे चीता के पहले चार शावक हैं।1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत में अंतिम चीते की मौत हो गई थी और 1952 में इस प्रजाति को देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।