
पेरिस। कोरोना के साइड इफेक्ट्स 3 साल बाद भी लोगों की जान पर भारी पड़ रहे हैं। यह खुलासा इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक शोध में हुआ है, जिसमें फ्रांस के 64,000 लोगों पर अध्ययन किया गया। शोध में दावा किया गया है कि कोरोना के बाद से हार्ट, किडनी फेल होने के मामलों में इजाफा हुआ। पेरिस के बिचैट अस्पताल के शोधकर्ताओं ने इस पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में सामने आया कि कोविड-19 से अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में डिस्चार्ज होने के 30 महीने बाद तक विभिन्न अंग विकारों के कारण मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ गया था।
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि कोरोना से उबरने वाले मरीजों को लंबे समय तक स्वास्थ्य निगरानी और देखभाल की जरूरत है। बिचैट अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सारा टुबियाना ने कहा कि यह शोध कोविड-19 के दूरगामी प्रभावों की सच्चाई सामने लाता है, जो शुरुआती संक्रमण से कहीं आगे जाता है। शोध में दावा किया गया है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को महीनों और सालों बाद भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
कोरोना गया, लेकिन बीमार कर गया
बिचैट अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. सारा टुबियाना ने कहा कि यह अध्ययन कोविड-19 के दूरगामी प्रभाव की एक सख्त याद दिलाता है, जो शुरुआती संक्रमण से कहीं आगे तक फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए इसके दीर्घकालिक निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि हमारे शोध से पता चलता है कि 70 साल से अधिक उम्र के लोगों में अंगों से जुड़ी बीमारियों के लिए दोबारा भर्ती होने की दर भी ज्यादा रही। उन्होंने कहा कि अस्पताल से छुट्टी के 30 महीने बाद तक न्यूरोलॉजिकल, रेस्पिरेटरी, किडनी फेल्योर और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है।
यूं किया गया शोध
- इस अध्ययन में जनवरी से अगस्त 2020 के बीच अस्पताल में भर्ती 63,990 वयस्कों को शामिल किया गया, जिनकी औसत उम्र 65 साल थी और 53.1 फीसदी पुरुष थे।
- इनकी तुलना 3,19,891 सामान्य लोगों से की गई, जो उम्र, लिंग और स्थान के आधार पर समान थे, लेकिन कोविड होने पर भर्ती नहीं हुए।
- नतीजे बताते हैं कि कोविड से ठीक हुए मरीजों में मृत्यु दर (5,218 प्रति 100,000 व्यक्ति-वर्ष) सामान्य आबादी (4,013 प्रति 100,000 व्यक्ति-वर्ष) से कहीं ज्यादा थी।
मरीज दोबारा से हो रहे भर्ती
- शोध में शामिल मरीजों में दोबारा अस्पताल में भर्ती होने, न्यूरोलॉजिकल, मानसिक, दिल और सांस संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ा हुआ पाया गया।
- शोध के अनुसार यह खतरा पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान था, सिवाय मानसिक समस्याओं के, जहां महिलाओं में ज्यादा खतरा देखने को मिला।
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी चुनौती
कोरोना के लंबे समय तक चलने वाले प्रभावों को समझने और इनसे बचाव के लिए और शोध जरूरी है। यह शोध स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करता है और मरीजों की जरूरत को रेखांकित करता है। -डॉ. चार्ल्स बर्डेट, सह-लेखक, शोध, फ्रांस