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मप्र में 17% कम बारिश; खेतों में दरारें, सूखने लगीं फसलें

भोपाल। बारिश के रुठने से सूबे के किसानों के माथें पर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं, क्योंकि अगर हफ्तेभर में बारिश नहीं होती है, तो धान के साथ ही सोयाबीन और दूसरी फसलें सूखने लगेंगी। धान के खेतों में पानी की जगह दरारें दिख रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, मप्र में 1 जून से अब तक ओवरऑल बारिश का आंकड़ा 17 फीसदी कम है। अगस्त में बरसात पर विराम लगने के बाद सितंबर में भी बारिश के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

नतीजे में धान के खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और फसल पीली पड़ने लगी हैं, जिससे अब इनमें बालें नहीं आ पाएंगी। आलम यह है कि नर्मदा बासमती उपजाने वाले रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा और सीहोर आदि जिलों में धान की फसल चौपट होने की कगार पर पहुंच चुकी है। फिलहाल जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, वहीं दिन-रात सिंचाई करके फसलों को बचाने में जुटे हैं। वहीं उमस बढ़ने से सोयाबीन की फसल इल्लियां चट करने लगी हैं, जिन पर कीटनाशक भी बेअसर साबित हो रहे हैं।

सूखे से निपटने खेतों में छोड़े डैमों का पानी : सीएम

सूखे से फसलों को बचाने के लिए डैमों से पानी छोड़ने का रोडमैप तैयार करें। डैमों की स्थिति का आकलन करें और इसमें यह तय करें कि किस डैम से कितना पानी नहरों के जरिए खेतों में छोड़ा जा सकता है। किसानों को सिंचाई के संबंध में एडवाइजरी जारी करें। मुख्यमंत्री चौहान रविवार को समत्व भवन में अल्पवर्षा की स्थिति से निपटने के लिए आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगस्त माह में वर्षा बहुत कम हुई है। अल्पवर्षा के कारण खरीफ की फसलें संकट में हैं।

इस संकट की स्थिति से निपटने के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे। बिजली की डिमांड भी बढ़ गई है। सीएम ने कहा कि किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए अनिवार्य रूप से 10 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। कटौती की शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि डैम से पानी छोड़कर फसलों को बचाया जाएगा। पेयजल और निस्तार के पानी की व्यवस्था करेंगे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जल उपयोगिता समिति की बैठक जल्द करें। जहां पानी उपलब्ध है, वहां डैम से पानी छोड़ने की व्यवस्था करें। डैमों का परीक्षण कर लें।

मध्यप्रदेश में फसलों की स्थिति और सूखे की आशंका

भोपाल, नर्मदापुरम में 50 फीसदी फसल पर संकट : दोनों संभागों में लगभग 19 लाख हेक्टेयर में धान सहित अन्य फसलें बोई गई हैं। धान का रकबा 3.73 लाख हेक्टेयर है। दोनों संभागों में बारिश औसत से कम हुई है। अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं होने से फसलें सूखने की आशंका है। ऐसे में 50 फीसदी फसलों को नुकसान की आशंका है।

इंदौर में 10 फीसदी रकबे पर पड़ेगा असर: यहां सोयाबीन 2.20, मूंग 1.0, मक्का 10 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। बारिश नहीं होने से 10 फीसदी रकबे पर असर पड़ेगा।

ग्वालियर : 20 फीसदी फसलों को हो सकता है नुकसान: संभाग में धान 120, अरहर 65, मूंग 82, सोयाबीन 85, मूंगफली 103, तिल 87 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। अगले कुछ दिनों में बारिश नहीं होने पर कुल फसल का 15-20 फीसदी नुकसान होने का अनुमान है।

जबलपुर: शहपुरा-पाटन में 30 फीसदी फसलों पर संकट : सोयाबीन 800, चना 700, मटर 22 हजार हेक्टेयर में बोया गया है। यहां औसत बारिश काफी कम हुई हैं। जिले के शहपुरा, पाटन में सोयाबीन को 30 प्रतिशत नुकसान संभावित है।

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