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Year Ender Story : मोदी तीसरी बार बने पीएम, वहीं अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने की जोरदार वापसी की, साल 2024 में दुनियाभर में हुए चुनावों पर एक नजर…

Year Ender Story : यह साल खत्म हो रहा है। दुनिया के कई देशों में इस साल चुनावों हुए। कहीं सरकार ने वापसी की, तो कहीं सत्तारूढ़ पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी। आइए ‘Year Ender Story’ के इस आलेख में दुनियाभर में हुए चुनावों के विश्लेषण को देखते हैं,

अमेरिकी चुनाव- डोनाल्ड ट्रंप ने की वापसी

साल 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को शिकस्त दी। ट्रंप ने 279 इलेक्टोरल वोट हासिल किए, जबकि हैरिस को 219 वोट मिले। इस चुनाव में अर्थव्यवस्था, महंगाई, स्वास्थ्य सेवाएं, इमिग्रेंट्स और अंतरराष्ट्रीय संबंध जैसे मुद्दे प्रमुख रहे।

कमला हैरिस ने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और गर्भपात और महिलाओं के अधिकारों को मुद्दा बनाया। वहीं दूसरी ओर, ट्रंप ने सीमाओं की सुरक्षा, कर सुधार और ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को प्राथमिकता देते हुए मतदाताओं को लुभाया। चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया और प्रचार अभियानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे युवा और अल्पसंख्यक समुदाय की भागीदारी में वृद्धि देखी गई।

डोनाल्ड ट्रंप की इस जीत से वो अमेरिका 132 सालों के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए, अपना दूसरा कार्यकाल एक अंतराल के बाद संभालेंगे। इससे पहले 1892 में अमेरिका के राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड के साथ ऐसा हो चुका है। इस चुनाव ने न केवल अमेरिका, बल्कि विश्व राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति का चयन वैश्विक नीतियों और आर्थिक परिवर्तनों को प्रभावित करता है।

रूस का चुनाव- व्लादिमीर पुतिन ने हासिल किए 88% वोट

मार्च 2024 में रूस में राष्ट्रपति चुनाव आयोजित हुए, जिसमें व्लादिमीर पुतिन ने 88% मतों के साथ जीत हासिल की, जो सोवियत संघ के बाद के रूस में किसी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक है। हालांकि, पश्चिमी देशों ने चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए, जिन्हें रूसी चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया।

पुतिन की इस जीत से उनकी सत्ता 2030 तक बढ़ गई है, जिससे रूस की आंतरिक राजनीति में स्थिरता बनी रहेगी। हालांकि, विपक्षी दलों और स्वतंत्र मीडिया पर दबाव के चलते लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा हुआ है। वैश्विक स्तर पर, पुतिन के दोबारा जीतने से यूक्रेन संघर्ष में रूस की स्थिति और सुदृढ़ होगी, जिससे पश्चिमी देशों के साथ तनाव बढ़ सकता है।

इसके अलावा, रूस-चीन संबंधों में मजबूती आने की संभावना है, जो वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। अमेरिकी चुनावों में रूस के संभावित हस्तक्षेप के आरोप भी लगाए गए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में जटिलता बढ़ सकती है।

ब्रिटेन का चुनाव- कंजरवेटिव पार्टी को मिली करारी शिकस्त

ब्रिटेन में 4 जुलाई 2024 को हुए आम चुनाव में लेबर पार्टी ने कीर स्टार्मर के नेतृत्व में 412 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया, जबकि कंजरवेटिव पार्टी मात्र 121 सीटों पर सिमट गई। कंजरवेटिव पार्टी की इस हार के प्रमुख कारणों में आर्थिक संकट, महंगाई और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की नीतियों को इन समस्याओं के समाधान में विफल माना गया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा। इसके अतिरिक्त, आवास संकट और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों पर सरकार की निष्क्रियता ने भी मतदाताओं को निराश किया। लेबर पार्टी ने इन समस्याओं के समाधान के लिए ठोस योजनाएं प्रस्तुत कीं, जिससे उन्हें व्यापक समर्थन मिला।

जापान का चुनाव- सत्तारूढ़ पार्टी ने खोया बहुमत

अक्टूबर 2024 में जापान में हुए आम चुनावों में प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के नेतृत्व वाली लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसके गठबंधन सहयोगी कोमीतो ने निचले सदन में अपना बहुमत खो दिया। पहले सत्तारूढ़ गठबंधन का 288 सीटों पर काबिज था, लेकिन वह केवल 215 सीटें ही जीत सकी, जबकि बहुमत के लिए 233 सीटों की आवश्यकता होती है।

विपक्षी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीपी) की सीटें 98 से बढ़ाकर 148 हो गईं। इस हार के प्रमुख कारणों में आर्थिक चुनौतियाँ, बढ़ती महंगाई और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली शामिल हैं। प्रधानमंत्री इशिबा की नीतियों को इन समस्याओं के समाधान में विफल माना गया।

पाकिस्तान का चुनाव- पाकिस्तान को मिला नया प्रधानमंत्री

पाकिस्तान में 8 फरवरी 2024 को हुए आम चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। 266 सीटों में से 101 सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, जबकि शेष सीटें विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच विभाजित रहीं। शहबाज शरीफ को पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री चुना गया।

नाव प्रक्रिया में देरी और अनियमितताओं के आरोप लगे, जिससे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। इस चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान की अनुपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि वे कानूनी मामलों के चलते चुनाव में भाग नहीं ले सके।

श्रीलंका का चुनाव- अनुरा कुमारा दिसानायके के रूप में मिला नया राष्ट्रपति

श्रीलंका में नवंबर 2024 में हुए संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ (NPP) ने 225 सदस्यीय संसद में 123 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। एनपीपी को कुल मतों का 61% प्राप्त हुआ। इस चुनाव में एनपीपी की सफलता के पीछे कई कारण रहे। पहला, राष्ट्रपति दिसानायके की नेतृत्व क्षमता और उनकी पार्टी की नीतियों ने जनता का विश्वास जीता। दूसरा, एनपीपी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया, जिससे जनता में उनकी लोकप्रियता बढ़ी। तीसरा, पार्टी ने आर्थिक सुधारों और विकास के लिए ठोस योजनाएं प्रस्तुत कीं, जो मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल रहीं।

वहीं, विपक्षी दलों की हार के प्रमुख कारणों में उनकी आंतरिक कलह, भ्रष्टाचार के आरोप, और जनता की अपेक्षाओं पर खरा न उतरना शामिल हैं। विशेषकर, तमिल अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक राजधानी जाफना जिले में एनपीपी की जीत ने पारंपरिक तमिल राष्ट्रवादी पार्टियों को झटका दिया, जो पहले वहां वर्चस्व रखती थीं।

फ्रांस का चुनाव- किसी भी पार्टी को नहीं मिला बहुमत

फ्रांस में जुलाई 2024 में हुए संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ (NFP) ने 577 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 182 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मध्यमार्गी ‘टुगेदर’ गठबंधन 170 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि धुर दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ पार्टी 150 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई।

इस चुनाव में मैक्रों की पार्टी की हार के प्रमुख कारणों में आर्थिक चुनौतियाँ, बढ़ती महंगाई और सामाजिक असमानता के मुद्दों पर सरकार की नीतियों के प्रति जनता की नाराजगी शामिल है। इसके अतिरिक्त, पेंशन सुधारों और श्रम कानूनों में बदलाव के प्रस्तावों ने भी व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिससे सरकार की लोकप्रियता में गिरावट आई। वामपंथी दलों ने इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, और श्रमिक अधिकारों के समर्थन में अपने अभियान चलाए, जिससे उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिला।

भारत का चुनाव- तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी

भारत में अप्रैल-मई 2024 में हुए 18वें लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 240 सीटें जीतीं, जबकि उसके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को कुल 293 सीटें मिलीं। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने 99 सीटें हासिल कीं और इंडिया गठबंधन को कुल 232 सीटें प्राप्त हुईं।

भाजपा ने 400 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। इसका प्रमुख कारण उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में खराब प्रदर्शन रहा, जहां पार्टी को महत्वपूर्ण सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। विशेषकर, अयोध्या जैसे क्षेत्रों में भाजपा की हार ने पार्टी के लिए चिंता बढ़ाई। स्थानीय स्तर पर उम्मीदवारों की अति-आत्मविश्वास, जनता से संवाद की कमी और स्थानीय मुद्दों की अनदेखी जैसे कारकों ने पार्टी की हार में भूमिका निभाई।

इसके अतिरिक्त, महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार की नीतियों के प्रति जनता की नाराजगी ने भी चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। विपक्षी दलों ने इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाया, जिससे मतदाताओं का समर्थन उन्हें मिला।

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