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वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे: सुसाइडल के हाई रिस्क ग्रुप में ज्यादातर यूथ, सिलेबस में शामिल हो मेंटल हेल्थ

WHO के मुताबिक 81 फीसदी लोग सुसाइड से पहले कुछ न कुछ संकेत देते हैं

भोपाल। वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे 10 सितंबर को दुनिया भर में आत्महत्या के मामलों में कमी लाने के प्रयास से मनाया जाता है, कि लोग अपने मानसिक स्वास्थ को लेकर जागरूक हों। इस साल की थीम है, कार्रवाई के माध्यम से आशा बनाना (Creating Hope Through Action) है। डब्लूएचओ के आधार पर आत्महत्या करने वालों में 81 प्रतिशत लोग कुछ न कुछ संकेत दे देते हैं। हर 4 मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। इस प्रकार हर वर्ष 8,00,000 से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। डब्लूएचओ के अनुसार इससे ज्यादा लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि समाज में कितना मानसिक तनाव है।

कैसे करें आत्महत्या के विचार का अंत

  • यदि मन में सुसाइड का ख्याल आ रहा है तो किसी अपने और भरोसेमंद व्यक्ति के साथ बैठकर अपने मन की सभी बातें बोल दें। जी भर कर रोएं, ऐसा करने से आत्महत्या की चाह कम हो जाती है।
  • यदि परिवार के साथ बैठकर कोई बात साझा नहीं कर पा रहे हैं तो किसी मनोवैज्ञानिक या कंसल्टेंट की मदद लें।
  • खुद को अहमियत दें। इसके लिए आप दीवार पर एक कागज में अपनी अच्छाइयां लिखकर लगा दें।
  • यदि आप बहुत लंबे वक्त से दोस्तों से नहीं मिले हैं तो फौरन उनसे मुलाकात करें। जो अच्छा लगता है वो करें, इससे दिमाग शांत होगा।
  • सुबह-सुबह किसी एकांत जगह पर ताजी हवा में मॉर्निंग वॉक करने जाएं। कानों में हेडफोन लगाकर गाना सुनने के बजाय चिड़ियों, हवा में लहरा रहे पत्तों और पानी की आवाज को सुनें। इससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  • जो भी आपका पसंदीदा खेल है उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
  • किसी जरूरतमंद या गरीब की मदद करें, इससे आपका मन हल्का महसूस करेगा और उनके चेहरे की मुस्कान आपके मस्तिष्क को शांति देगी।

सुसाइडल थॉट्स ट्रिगर्स

  • लोग कैसे आत्महत्या कर लेते हैं।
  • क्या मेरे जाने के बाद लोग मुझे याद करेंगे।
  • मानसिक तनाव बना रहेगा।
  • दो-चार या एक माह से घर के लोगों से अलग रहना।
  • मोबाइल, सोशल मीडिया, तथा लोगों के सम्पर्क से दूर रहना।
  • जीने की इच्छा खत्म होते जाना।
  • सोचना कि मेरे बाद लोग जी लेंगे।
  • भविष्य के प्रति चिंता, उदासीनता और रास्ता न दिखना।

आत्महत्या करने के कारण (प्रतिशत में)

फैमिली प्रॉब्लम 32.4
बीमारी 17.1
मादक पदार्थ 5.6
वैवाहिक 5.5
लव अफेयर्स 4.5
बैंकरप्सी 4.2
परीक्षा में फेल 2.0
बेरोजगारी 2.0
प्रोफेशनल, करियर 1.2
प्रॉपर्टी विवाद 1.1
प्रियजन की मृत्यु 0.9
गरीबी 0.8
शंका 0.5
इंपोटेंसी 0.3
अन्य कारण 11.1
कारण ज्ञात न होना 10.3
सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच 0.4
( सोर्स: एक्सीडेंट डेंथ एंड सुसाइड इन इंडिया 2019)

भावनाओं को समझने की कोशिश करें

  • यदि कोई आपके समक्ष खुदकुशी की बात कर रहा है या इशारों में ही बताने की कोशिश कर रहा है तो उनकी बात को तवज्जो दें। उनकी हंसी ना उड़ाएं।
  • यदि कोई आपसे अपनी समस्या साझा कर रहा है तो उसे ध्यानपूर्वक सुनें और उन्हें एहसास करवाएं कि आप उन्हें हर समस्या से बाहर निकाल सकते हैं।
  • आत्महत्या के बारे में सोच रहा व्यक्ति लंबे समय से परेशान रहने लगता है। एक सेकंड में खुदकुशी का ख्याल हजार में से किसी एक के दिल में ही आता है।

मेंटल हेल्थ को सिलेबस में शामिल करें

स्कूल-कॉलेज व कोचिंग पर ऐसी व्यवस्था होना चाहिए कि बच्चे काउंसलर के पास जाकर बात कर सकें और यदि उनमें कोई गंभीर लक्षण नजर आए तो उन्हें साइकेट्री हेल्प लेने को कहें। काम की तलाश में दूसरे शहर गया युवा, किसान भी हाई रिस्क ग्रुप में आता है। मानसिक रोगों जैसे डिप्रेशन का सही समय पर इलाज उसे आत्महत्या में बदलने से रोक सकता है। स्कूली पाठ्यक्रम में शुरू से मानसिक स्वास्थ्य नॉलेज स्टूडेंट्स को मिलना चाहिए। जब हमारे चारों तरफ जागरूक युवा होंगे तो सकारात्मक वातावरण बनेगा। डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, साइकेट्रिस्ट

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