नई दिल्ली। जब कोई बहुत ज्यादा बुरी मानसिक स्थिति से गुजरता है तो डिप्रेशन में चला जाता है इसी वजह से लोग ज्यादातर आत्यमत्या कर लेते हैं। आत्महत्या (Suicide) को रोकने के तरीकों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है। वहीं कोरोना काल के बाद से आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी है। इस महामारी के दौर में नौकरियां छिन जाने, अपने करीबियों को खोने और अकेलेपन ने लोगों को उदास और अतिसंवेदनशील बना दिया है। इसी वजह से कई लोग आत्महत्या करन कर लेते हैं।
8 लाख से ज्यादा लोग हर साल करते हैं आत्महत्या
इस दिन को मनाने की शुरुआत 10 सितंबर 2003 को इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मिलकर की थी। हर साल इस दिवस को मनाने के लिए आईएएसपी (IASP) 60 से अधिक देशों में सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। हर साल लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग अलग-अलग कारणों के चलते आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज के समय में लोग किस हद तक मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं। इसके मुताबिक दुनियाभर में 79% आत्महत्या मध्यवर्ग और निम्न वाले देशों के लोग करते हैं।
2021 की थीम
इस बार वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की थीम “कार्रवाई के माध्यम से आशा बनाना” रखी गई है, जो आत्महत्या की रोकथाम की दिशा में एक सामूहिक पहल का वादा करता है।
कौन सबसे ज्यादा करता है सुसाइड
युवा वर्ग के लोग आत्महत्या जैसे घातक कदम ज्यादा उठाते हैं। इसकी कई वजह होती है जैसे करियर प्रॉब्लम्स, पढ़ाई का प्रेशर और खराब होते रिश्ते। सुसाइड कमिट करने की दर पुरुषों की ज्यादा है। बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। लोगों में जागरुकता मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरुकता फैलाकर आत्महत्या जैसे मामलों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
इससे बचाव के तरीके
जब कोई भी इंसान मानसिक तनाव से जूझ रहा होता है तो उसके व्यवहार में पहले की अपेक्षा कुछ बदलाव देखने को मिल जाते हैं। ऐसे लोग और लोगों से दूरी बना लेते हैं। उन्हें अकेले रहना ज्यादा पसंद आता है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा भी कर देते हैं। इससे बचाव के लिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच रहें। परिवार के साथ बैठकर परेशानी का हल निकालें।अगर घर में कोई सदस्य इस समस्या से जूझ रहा है तो उस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया ना दें। गुस्से पर काबू रखें। खुद को खुश रखने की कोशिश करें।