
भोपाल। विश्व हृदय दिवस के अवसर पर राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में ‘दिल से दिल की देखभाल’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने किया। उन्होंने प्रदेशभर में सीपीआर ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने की घोषणा की। साथ ही कहा कि स्कूल, कॉलेज सहित जिम में भी सीपीआर की ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस अवसर पर भोपाल महापौर मालती राय, जीएमसी डीन डॉ. अरविंद राय, अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया, विभागीय अधिकारी, कर्मचारीगण सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।
हर वर्ग सीखेगा CPR : मंत्री सारंग
कार्यक्रम के दौरान मंत्री सारंग मंच पर कार्डियक अरेस्ट के लिए सीपीआर देने की प्रक्रिया का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि विश्व हृदय दिवस के अवसर पर गांधी मेडिकल कॉलेज में ‘दिल से दिल की देखभाल’ नए कार्यक्रम को लांच किया है। उन्होंने कहा कि यंग ऐज में लोगों को कार्डियक अरेस्ट होता है, अभी हमने राजू श्रीवास्तव जी की घटना देखी इस तरह बहुत सारे मामले सामने आए हैं।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) September 29, 2022
कार्डियक अरेस्ट के दौरान मरीज को अगर सीपीआर दिया जाए तो उसका हार्ट फिर से चलने लगता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रदेशभर में सीपीआर ट्रेनिंग के लिए प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसकी ट्रेनिंग स्कूल, कॉलेज सहित जिम में भी दी जाएगी। दिल से करें दिल की देखभाल कार्यक्रम से समाज का हर वर्ग सीपीआर सीख सकेगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में कार्डियक हेल्पलाइन की भी शुरुआत की जाएगी।
क्या है सीपीआर ?
सीपीआर इमरजेंसी की हालत में इस्तेमाल की जाने वाली एक मेडिकल प्रक्रिया है, जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) कहते हैं। इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस ना ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
सीधे शब्दों में कहें तो अगर किसी कारण कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो, दिल की धड़कन बंद हो गई हो या पल्स नहीं चल रही हो, तो ऐसी स्थिति में सीपीआर ही दी जाती है। इसकी मदद से पेशेंट को सांस लेने में सहायता मिलती है। दरअसल, सीपीआर देने के दौरान हार्ट और ब्रेन में ब्लड सर्क्युलेशन में सहायता मिलती है। सीपीआर की मदद से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
कैसे देते हैं सीपीआर ?
सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है। यह एक तरह की प्रक्रिया है, जिसे मरीज के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है, जिससे शरीर में पहले से मौजूद वाला खून संचारित होने लगता है। साथ ही इस प्रक्रिया में मरीज के मुंह में मुंह से सांस भी दी जाती है।
सीपीआर देने का खास तरीका होता है, जिससे कई लोगों को बचाया गया है और कई लोगों को बचाया जा सकता है। कई बार दुर्घटना की स्थिति में मुंह पर चोट लग जाती है तो मुंह से सांस नहीं दी जा सकती, ऐसी स्थिति में नाक से भी सांस दी जाती है। हालांकि, इसके लिए पता होना आवश्यक है कि व्यक्ति को सीपीआर की आवश्यकता है या नहीं। अगर आप इसकी पहली ट्रेनिंग ले चुके हैं तो ही इसका इस्तेमाल करें।