
World AIDS Day 2024। आज भारत समेत पूरी दुनिया में विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य HIV और AIDS के बारे में जागरूकता फैलाना, इससे जुड़ी गलतफहमियों को दूर करना, बीमारी के खिलाफ संघर्ष को बढ़ावा और संक्रमित व्यक्तियों के साथ समानता और सम्मान सुनिश्चित करना है। आज ही के दिन 1988 में WHO द्वारा पहला वैश्विक स्वास्थ्य दिवस घोषित किया गया था। दिसंबर की शुरुआत में विश्व एड्स दिवस को चुनने का कारण, इसे साल के अंत में मुख्य रूप से प्राथमिकता देना और अगले साल की शुरूआत से ही इससे संबंधित योजनाओं का सही और व्यापक रूप से क्रियांवयन करना है। 21वीं सदी में भी HIV और AIDS को लेकर लोगों में काफी भ्रम है। आज जागरूकता बढ़ाने की इस कड़ी में हम सबसे पहले यही जानने की कोशिश करते हैं कि HIV और AIDS में क्या अंतर है…
HIV क्या है?
HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कमजोर कर देता है। यह व्यक्ति को अन्य गंभीर बीमारियों और संक्रमणों की ओर अग्रसर करता है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और त्वचा पर रैश शामिल हैं।
कैसे फैलता है- HIV संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित खून, वीर्य, योनि स्राव या मां के दूध के माध्यम से फैलता है।
कैसे नहीं फैलता है- यह वायरस साधारण शारीरिक संपर्क, गले मिलने, हाथ मिलाने या साथ में भोजन करने से नहीं फैलता।
AIDS क्या है?
AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) HIV संक्रमण का अंतिम और सबसे गंभीर चरण है। इस अवस्था में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता लगभग खत्म हो जाती है। AIDS के कारण व्यक्ति गंभीर बीमारियों और संक्रमणों का शिकार हो जाता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, लंबे समय तक खांसी, अचानक वजन घटना और रात में पसीना आना शामिल हैं। इस संक्रमण के बढ़ने की दशा बिल्कुल HIV की तरह ही होती है।
महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग होते हैं लक्षण
HIV और AIDS के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं…
- पुरूषों में इसके लक्षणों की बता करें तो, जनन अंगों में दर्द और सूजन, प्रोस्टेट ग्रंथि में समस्या, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, बांझपन और रेक्टम में दर्द जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।
- महिलाओं में इसके लक्षणों की बात करें तो, मासिक धर्म में अनियमितता, अचानक वजन घटना, भूख में कमी, लंबे समय तक पाचन संबंधी समस्याएं, त्वचा पर चकत्ते और लिंफ नोड्स में सूजन जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।
क्या है संक्रमण से बचाव के उपाय
HIV संक्रमण से बचने के लिए नीचे लिखी कुछ जरूरी सावधानियों को अपनाया जा सकता है,
- सुरक्षित यौन संबंध स्थापित करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संक्रमण न फैले।
- केवल सील पैक किए हुए नए इंजेक्शन का इस्तेमाल करें।
- प्रेग्नेंसी से पहले और इसके दौरान HIV टेस्ट जरूर कराएं।
- खून चढ़वाने से पहले यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि वह HIV-नेगेटिव जांच किया हुआ हो।
फिर क्या है इसका इलाज
HIV का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है। हालांकि, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के जरिए इस संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। यह थेरेपी वायरस के प्रसार को रोकती है और संक्रमित व्यक्ति को सामान्य और लंबा जीवन जीने में मदद करती है।
बच्चों और महिलाओं पर क्या है इसका प्रभाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 0-14 वर्ष की उम्र के करीब 80 हजार बच्चे HIV संक्रमण के साथ जी रहे हैं। अधिकांश मामलों में यह संक्रमण मां से बच्चे में गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान होता है। इस संक्रमण को रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं का समय पर उपचार और एहतियात बरतना बेहद जरूरी है।
जागरूकता की है आवश्यकता
HIV और AIDS के प्रति समाज में अब भी कई मिथक और भ्रांतियां प्रचलित हैं। संक्रमित व्यक्ति को समाज में कलंक की नजर से देखा जाता है। समाज के इस रवैये से वह बिना किसी गलती के भी घुटने को मजबूर हो जाता है। ऐसे में हम संक्रमित व्यक्ति के साथ भेदभाव के बजाय उन्हें सहायता और सम्मान दें। सामाजिक स्तर पर इसे लेकर पूरा प्रयास करें और इसे लेकर समाज में जो भी भ्रांतियां व्याप्त हैं, उन्हें अपने स्तर से दूर करने की पूरी कोशिश करें।
अब तक क्यों नहीं बन पाई HIV की वैक्सीन
HIV वायरस एक ऐसा वायरस है, जिसकी संरचना में लगातार बदलाव होता रहता है। इसकी म्यूटेशन दर अन्य वायरसों की तुलना में काफी अधिक होती है, जिससे यह इम्यून सिस्टम को आसानी से धोखा दे देता है। HIV के खिलाफ वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिकों को इस समस्या से जूझना पड़ता है कि वैक्सीन इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर पाएगी या नहीं और अगर करेगी तो उसकी प्रभावशीलता कितनी होगी।
यही कारण है कि इस वायरस के खिलाफ एक प्रभावी वैक्सीन विकसित करना मेडिकल साइंस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। वैक्सीन को लेकर यह स्थिति अभी भी बरकरार है, लेकिन बहुत से डॉक्टर और साइंटिस्ट की टीम इसे लेकर लगातार रिसर्च कार्य कर रहे हैं।
फिर भी, अच्छी खबर यह है कि पिछले एक दशक में दुनियाभर में HIV के मामलों में कमी आई है। जागरूकता अभियानों, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी और प्रभावी उपचार के चलते संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले समय में इस दिशा में बड़ी प्रगति हो सकती है।
क्या कहती है WHO की रिपोर्ट
2023 के अंत तक, दुनियाभर में लगभग 4 करोड़ लोग HIV के साथ जी रहे थे। इनमें से 13 लाख लोग नए संक्रमण का शिकार हुए। HIV संक्रमण के सबसे अधिक मामले अफ्रीकी क्षेत्र में दर्ज किए गए, जहां लगभग 2.6 करोड़ लोग इस वायरस से प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में नए संक्रमणों के 50% से अधिक मामले दर्ज किए गए। वैश्विक स्तर पर, 15-49 वर्ष आयु वर्ग के 0.6% वयस्क HIV के साथ जीवन यापन कर रहे हैं।
HIV से अब तक 4.2 करोड़ से अधिक लोगों की जान गई है। 2023 में ही, HIV से संबंधित बीमारियों के कारण 6 लाख 30 हजार मौतें हुईं। हालांकि वैज्ञानिक प्रयासों और जागरूकता अभियानों की वजह से नए संक्रमण और मौतों की संख्या में गिरावट आ रही है, लेकिन यह अभी भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। भारत समेत दुनियाभर में 2030 तक AIDS को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।
(अस्वीकरण- ऊपर लिखी सभी सामग्री महज सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा या किसी तरह के राय का विकल्प नहीं है। इससे जुड़ी आधिकारिक जानकारियों के लिए हमेशा विशेषज्ञ या चिकित्सक से ही राय लें। पीपुल्स अपडेट इन सभी जानकारियों के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता।)
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