
प्रीति जैन। इमोशनल ईटिंग यंगस्टर्स के बीच में एक समस्या बनती जा रही है, जिसमें आप भावनाओं का सहारा लेकर अपने खाने की क्रेविंग को पूरा करते हैं फिर ये इमोशन चाहे खुशी का हो या फिर दुख, उदासी, डिप्रेशन, गुस्सा या फिर सामान्य रूप से बोर होने पर भी ऐसा हो सकता है। इस दौरान असल भूख और इमोशनल ईटिंग के बीच अंतर समझना बहुत जरूरी है। इमोशनल ईटिंग खाने के प्रति तीव्र इच्छा नहीं बल्कि अपनी भावनाओं के प्रति आने वाला एक रिएक्शन है जिसे मैनेज करने के लिए आप खाना शुरू कर देते हैं। रिश्तों में तनाव, काम का दबाव और हेल्थ या निजी परेशानी, ये सब हमारे इमोशंस को प्रभावित करते हैं। इनकी वजह से हम दुख महसूस करते हैं और उदास हो जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ भी कर चुका है इमोशनल ईटिंग को लेकर सतर्क
इमोशनल ईटिंग से पीड़ित व्यक्ति बिना भूख के ओवरईटिंग करता है। लेकिन बाद में उसे इस बात का पछतावा होता है और वह बुरा महसूस करता है। इमोशनल ईटिंग हमारी हेल्थ के लिए गंभीर खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कुछ साल पहले आई रिपोर्ट के मुताबिक मोटापे का शिकार हुए लोगों में 40 फीसदी में से 60 फीसदी लोग इमोशनल ईटिंग करते हैं।
स्ट्रेस ईटिंग से बचने के कुछ उपाय
- ट्रिगर पहचाने कि किन बातों से खाने की इच्छा बढ़ती है।
- डॉक्टर से इस बारे में बात करें ताकि वे रास्ते सुझाए।
- अपने मोबाइल या डायरी में लिखे कि महीने में ऐसा कितनी बार हुआ और क्या खाया।
- तनाव को मैनेज करने के रास्ते खोजे।
- यह समझें कि बिंज या स्ट्रेस ईटिंग किसी समस्या का हल नहीं है, बल्कि यह सेहत के लिए खराब है।
- यदि भूख लगती भी है तो सलाद, फ्रूट्स या जूस लें और ओवर ईटिंग से बचें।
वर्कआउट के साथ तनाव मुक्त करने का करते हैं प्रयास
हमारे पास ऐसे कई केसेस आते हैं जिसमें जिम जॉइन करने वाली कई यंगस्टर्स व महिलाएं न चाहते हुए भी शुगर रिच फूड और कैलोरी रिच फूड खाती हैं। खाने के बाद बढ़ते वजन के परिणामों से चिंता भी बढ़ती है क्योंकि बिंज ईटिंग या स्ट्रेस ईटिंग से वजन तो लगातार बढ़ता जाता है, इसलिए हम वर्कआउट को खुशनुमा बनाने का प्रयास करते हैं। -प्रीति श्रीवास्तव, फिटनेस एक्सपर्ट
तनाव में भूख को बढ़ाने वाले हार्मोन्स भी होते हैं रिलीज
तनाव और तीव्र भावना हार्मोन जैसे कॉर्टिसोल, इंसुलिन और ग्लूकोज को प्रभावित करती है। जब व्यक्ति तनाव में या चिंतित होता है तो शरीर कोर्टिसोल नाम का हार्मोन रिलीज करता है जो भूख व हाई फैट व हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थों की लालसा को बढ़ावा देता है, जिससे वजन बढ़ता है। ये खाना अस्थायी रूप से तो सरोटोनिन के स्तर को बढ़ाते है। -डॉ. आरएन साहू, मनोचिकित्सक