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50 साल बॉलीवुड में काम किया और शुरुआत में प्रताड़ना सही

150 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके फिल्म अभिनेता रमेश गोयल ने आई एम भोपाल से इंटरव्यू

जब घर छोड़कर मुंबई आया था, तब जेब खाली थी, कोई काम नहीं था, एक जगह नौकरी की और दिन में एक्टर बनने के लिए दर-दर की ठोकरे खाईं, कभी गाड़ी मैं सो जाता था, लेकिन मेरी जिद थी कि मुझे एक्टर बनाना है। यह कहना था, फिल्म सरफरोश और रामानंद सागर की रामायण में मारीच का किरदार निभाने वाले एक्टर रमेश गोयल का। भोपाल में द नेशनल सिनेवर्कर्स यूनियन द्वारा उनका सम्मान किया गया। आई एम भोपाल से इंटरव्यू में रमेश गोयल ने अपनी जर्नी के बारे में विस्तार से बातचीत की। उन्होंने बताया कि मेरी मजबूरी थी एक्टर बनना, क्योंकि मुझे कोई दूसरा काम नहीं आता था, घर पर भी बोलकर आया था, कि एक्टर ही बनूंगा, इसलिए मुझे लोगों द्वारा जितना भी टॉर्चर मिला वह मैं सहन करता गया। आज उसकी का नतीजा यह है कि मुझे इस इंडस्ट्री में 50 साल हो चुके हैं। यह बात ओर हैं कि मैंने पिछले 10 साल से कोई बड़ी फिल्म नहीं की, लेकिन मैं इस बात से निराश नहीं हूं।

बड़े एक्टर हमेशा डिप्रेशन से जूझते है

फिल्म इंडस्ट्री में बहुत डिप्रेशन हैं। एक्टर हमेशा डिप्रेशन में रहते हैं। मैंने अपना एक डायलॉग बनाया है, मन शांत और तन अशांत। इसका मतलब यह है कि मन को शांत, लेकिन शरीर को काम कराते रहो, तो कभी बीमार नहीं पड़ेंगे, इसलिए एक्टर को हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए। बड़े कलाकारों का जब वक्त चला जाता है तो वे इसे सहन नहीं कर पाते और सोचते हैं कि आज कोई पूछ नहीं रहा। कई कलाकार यह सोचकर अवसाद में और फिर दुनिया से चले जाते हैं।

बड़े कलाकारों के आने पर खाने से उठा देते थे

मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ कि कई लोगों से मुझे स्टूडियो से बाहर कर दिया, लंच के टाइम पर उठा दिया जाता था, यह बोलकर कि तुम छोटे कलाकार हो यहां बड़े एक्टर लंच करेंगे। यह सारे टॉर्चर मैंने सहन किए हैं, जिसको एक्टर बनना है उन्हें इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि उनकी कौन- कौन कहां-कहां बेइज्जती कर रहा है, लेकिन मैंने 150 से अधिक फिल्मों में नामी कलाकारों के साथ काम किया।

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