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बिना जमीन अधिग्रहण के वर्क ऑर्डर जारी किए, 5 साल तक लेट हुए पुलों के निर्माण कार्य

कैग की रिपोर्ट में खुलासा: विधानसभा में दी जानकारी, भोपाल, इंदौर, रीवा और उज्जैन संभाग के 25 पुलों में मिलीं गड़बड़ियां

अशोक गौतम, भोपाल। लोक निर्माण विभाग अपने काम में किस कदर लापरवाही करता है, इस का उदाहरण राजगढ़ जिले में देखा जा सकता है। दरसअल यहां पर अजनार नदी पर पुल का निर्माण होना था। 21 नवम्बर 2016 में वर्क आर्डर जारी हुए और निर्माण की समय सीमा 20 मार्च 2018 तय की गई । जब काम शुरू हुआ तो पता चला कि पुल के लिए जमीन का अधिग्रहण ही नहीं किया । 52 माह यानी चार साल से ज्यादा जमीन अधिग्रहण में लग गया। यह खुलासा हाल ही में विधानसभा पटल में रखी गई नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। अगस्त 2022 की स्थिति में पुल का काम अधूरा था। ऐसी स्थिति प्रदेश में 25 पुलों की है, जिनके निर्माण एक से लेकर पांच वर्ष तक जमीन की कमी से लेट हुए हैं।

शासन का तर्क: शासन ने भूमि अधिग्रहण में देरी का कारण 2013 में भारत सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन बताया। अदालतों में प्रकरणों का लंबित होना सहित कारण बताए।

ऐसे हुई गड़बड़ी की शुरुआत

कैग ने रिपोर्ट में बताया कि कार्यादेश के साथ ठेकेदारों को काम के लिए 231.45 करोड़ की राशि भी दी गई। कार्यपालन यंत्री को यह तय करना था कि भूमि का अधिग्रहण हुआ या नहीं। भोपाल, इंदौर, रीवा, उज्जैन संभाग के 25 पुलों में गड़बड़ियां मिलीं। कैग ने अगस्त 2022 में रिपोर्ट बनाई, तब तक 15 पुल बने थे, 10 का काम जारी था।

लोगों को हुई परेशानी: पुल और ब्रिज नहीं बनने से लोगों को नदी, रेलवे क्रासिंग पार करने में परेशानियां हुईं। लोगों को कई किमी इधर-उधर घूमकर जाना पड़ा । बारिश में कई हादसे भी हुए।

ये करते तो नहीं होती गड़बड़ी

कार्यपालन यंत्री को जमीन अधिग्रहण के लिए पहले स्थानीय प्रशासन को प्रस्ताव भेजना था। स्थिति क्लीयर होने के बाद ही कार्यादेश निकालना था ।

लेटलतीफी की नजीर हैं ये प्रमुख 5 निर्माण कार्य

1. बुरहानपुर: यहां पर आरओबी के निर्माण की स्वीकृति 19 जुलाई 2013 को हुई थी। जमीन अधिग्रहण में 92 माह लग गए जिससे काम 68 माह लेट हो गया।

2 सीहोर: सलकनपुर-धर्मकुंडी मार्ग में नर्मदा पर पुल का निर्माण 15 फरवरी 2013 को स्वीकृत, जमीन अधिग्रहण में 13 माह की देरी से काम 51 माह लेट हो गया।

3. बैतूल: सारनी-लोनिया रोड पर तवा नदी पर पुल निर्माण के कार्यादेश 8 दिसंबर 2015 को हुए। जमीन अधिग्रहण में 52 माह की देरी से काम 38 माह लेट हुआ।

4. शहडोल: बरकछ-ब्यौहारी रोड पर झापर नदी में पुल निर्माण का कार्यादेश 17 अक्टूबर 2016 को हुआ। जमीन लेने में 52 माह की देरी से काम 37 माह लेट हुआ ।

5. रतलाम: चंदरिया रेल खंड में रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण का कार्यादेश 28 सितंबर 2018 को हुआ। जमीन अधिग्रहण का 33 माह लेट हुआ । इससे पुल का निर्माण कार्य 33 लेट देरी से हुआ ।

ये जल्दबाजी के निर्णय

काम शुरू करने से पहले वैधानिक अनुमतियां लेना जरूरी होता है। जमीन अधिग्रहण करना एक अहम जिम्मेदारी है क्योंकि जमीन नहीं होगी तो ठेकेदार काम कैसे शुरू करेगा। यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। इससे विभाग और निर्माण एजेंसी के बीच में विवाद की स्थिति पैदा होती है। -प्रभाकांत कटारे, सेवानिवृत्त ईएनसी

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