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बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से मध्य प्रदेश को बनाएंगे ‘मेडिकल हब’

डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने विशेष चर्चा में कहा

राजीव सोनी-भोपाल। मध्यप्रदेश में मेडिकल एजुकेशन व स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाल रहे डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल की औचक कार्यशैली आज-कल सुर्खियों में है। मॉर्निंग वॉक के साथ सुबह 7 बजे अफसरों की क्लास लगाकर कामकाज की समीक्षा और व्यवस्थाओं से रूबरू होने प्राइवेट कार से उनके अचानक किसी भी अस्पताल जा धमकने से महकमे में हड़कंप है। अब 5 साल से एक जगह जमे स्टोर कीपर्स की सर्जरी भी तय मानी जा रही है।

‘पीपुल्स समाचार’ से विशेष चर्चा में डिप्टी सीएम ने दावा किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में हम ‘एमपी को नंबर-1 और मेडिकल हब’ बनाएंगे। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को और बेहतर करेंगे। डिप्टी सीएम बताते हैं कि प्रोफेसर्स, डॉक्टर्स व विभागीय स्टाफ की कमी दूर करने जल्दी ही 40 हजार से अधिक पदों पर भर्ती अभियान शुरू करेंगे। अभी हेल्थ पॉलिसी व योजनाओं पर मंथन चल रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जिला अस्पतालों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे।

अगले साल तक प्रदेश में 9 नए मेडिकल कॉलेज

उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी 14 मेडिकल कॉलेज हैं। सिवनी, मंदसौर और नीमच के अलावा अगले साल तक 6 और कॉलेज शुरू हो जाएंगे। चर्चा के बीच जब उनसे सेहत का राज पूछा गया तो उन्होंने बताया, राजनीतिज्ञों की निश्चित दिनचर्या नहीं होती, लेकिन मेरी कोशिश होती है कि सुबह की सैर और व्यायाम में गैप न आए। हर दिन सेहत के लिए एक से डेढ़ घंटे का समय देता हूं।

सुबह की सैर के साथ ही काम शुरू

  • मॉर्निंग वॉक के साथ आज-कल आपकी औचक कार्यशैली सुर्खियों में है? – देखिए, 7 बजे तक मॉर्निंग वॉक निपटाता हूं। तभी अफसरों को बुलाकर समीक्षा भी कर लेते हैं। इसके बाद अस्पताल का औचक भी निरीक्षण हो जाता है।
  • नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं, जबकि पुराने में ही स्टाफ का संकट है? – प्रोफसर्स और डॉक्टर्स की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। वैसे 50 फीसदी स्टाफ भी फर्स्ट इयर की क्लास शुरू करने को पर्याप्त है।
  • क्या पीपीपी मॉडल पर भी नए कॉलेज खोलने का विचार है? – हां, टेंडर निकल गया है। अगले 3-4 महीने में इस बारे में ठोस जानकारी दे पाउंगा।
  • सरकार ने इस मामले में क्या देर नहीं कर दी? – जरूरत तो अब महसूस हुई, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।
  • जिलों में ही डॉक्टर्स मुश्किल से जाते हैं फिर कम्युनिटी सेंटर्स में कैसे तैनात करेंगे? – हां, यह चुनौती तो है। हम इन केंद्रों में सुविधाएं और अन्य संसाधन जुटाएंगे।
  • खाली पदों की भर्ती कब तक हो जाएगी? – प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ऐलान किया है कि विभाग में 40 हजार से ज्यादा भर्ती होंगीं।
  • मेडिकल एजुकेशन और स्वास्थ्य विभाग का मर्जर होने से क्या फर्क आया? – यह जरूरी था। इससे समन्वय अच्छा हो गया और काम भी बेहतर हो रहा है।
  • सरकारी अस्पतालों में जांच और दवा वितरण की क्या स्थिति है? – प्रदेश के सभी अस्पतालों में जेनरिक दवाएं नि:शुल्क वितरित की जा रही हैं। दवाओं पर 400 से 450 करोड़ का बजट सरकार खर्च कर रही है। रही बात जांचों की तो सभी जगह यह सुविधा उपलब्ध है।

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