
पांच चुनावी राज्यों में रैलियों, रोड शो और नुक्कड़ सभाओं पर प्रतिबंध को लेकर आज फैसला लिया जाएगा। दरअसल, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक इन सभी चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही राजनीतिक पार्टियों को वर्चुअल रैली करने की इजाजत दी थी। वहीं अब आज चुनाव आयोग एक बैठक में फैसला लेगा कि ये प्रतिबंध आगे बढ़ाए जाए या नहीं।
8 जनवरी को जारी किए थे आदेश
चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए 15 जनवरी तक सार्वजनिक रैलियों, रोड शो और नुक्कड़ सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया था। आयोग ने 16 सूत्री दिशानिर्देश भी जारी किए थे। इसमें नुक्कड़ सभाओं पर भी बैन लगाया गया था। डोर-टू-डोर कैंपेन के लिए लोगों की संख्या 5 निश्चित की गई थी। चुनाव नतीजों के बाद विजय जुलूस निकालने पर भी रोक होगी।
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चुनाव प्रचार का समय बढ़ा
आयोग ने राजनीतिक दलों से डिजिटल माध्यम से प्रचार करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी प्रसारक दूरदर्शन के माध्यम से चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले समय को दोगुना किया जाएगा। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से शुरू होकर सात मार्च तक चलेंगे और मतगणना 10 मार्च को होगी।
टूटा कोविड प्रोटोकॉल, केस दर्ज
चुनाव आयोग द्वारा पूर्व में दिये गये स्पष्ट निर्देशों के बावजूद लखनऊ में BJP के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और अन्य विधायकों के पार्टी में शामिल होने के लिए सपा कार्यालय में भारी भीड़ जमा हुई। ये कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन है। भीड़ की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए तो चुनाव आयोग ने लखनऊ के डीएम को जांच के लिए कहा।
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इसके बाद धारा 144 के उल्लंघन समेत कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि समाजवादी पार्टी की वर्चुअल रैली बिना पूर्व अनुमति के हुई।