
हर्षित चौरसिया-जबलपुर। देशभर के 35 इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (आईएफएस) के सीनियर ऑफिसर मध्य प्रदेश में भ्रमण पर हैं। जबलपुर पहुंचे सीनियर आईएफएस ऑफिसरों ने पीपुल्स समाचार से खास चर्चा में अनुभव को साझा करते हुए कहा कि वेटरनरी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत स्कूल वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) सेंटर में अत्याधुनिक तकनीक से वन्यजीव अपराधों की जांच का काम किया जा रहा है।
देश में यह सेंटर अन्य राज्यों के लिए मॉडल है। यहां पर पोर्टेबल एक्स-रे मशीन, डॉट गन के साथ पोचिंग के केसों को सुलझाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही कान्हा में हैबीटेट मैनेजमेंट के साथ हर्वीबोर (शाकाहारी वन्यजीव) का सफलतापूर्वक ट्रांसलोकेशन बताता है कि समन्वय किस तरह और किस तकनीक से होना चाहिए।
कान्हा टाइगर रिजर्व में भ्रमण पर पहुंची टीम
कान्हा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर रविन्द्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि जबलपुर वेटरनरी यूनिवर्सिटी के एसडब्ल्यूएफएच सेंटर का भ्रमण करने के बाद सीनियर आईएफएस की टीम कान्हा टाइगर रिजर्व में दो दिन के भ्रमण पर पहुंची है। इसके बाद अधिकारी रायपुर के लिए रवाना होंगे। कान्हा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीयूष गोयल ने बताया कि आईएफएस अधिकारी ट्रेनिंग के लिए भ्रमण पर आए हैं। इसमें वे भी शामिल हैं। सभी अधिकारी ट्रांसलोकेशन से लेकर हैबीटेट आदि की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
प्रदेश में गांवों का विस्थापन सफलतापूर्वक होगा
जबलपुर के एसडब्ल्यूएफएच सेंटर में वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट पर विशेषज्ञ अच्छा काम कर रहे हैं। प्रदेश में बारहसिंगा, चीतल, गौर की शिफ्टिंग के साथ गांवों का विस्थापन सफलतापूर्वक होना वन विभाग और अन्य विभागों के बेहतर समन्वय को दर्शाता है। प्रदेश सरकार भी यहां पर वन्यजीव अपराधों की रोकथाम के लिए अच्छा काम कर रही है। -एन गणेश, सीनियर आईएफएस मणिपुर
मध्य प्रदेश में वाइल्ड लाइफ पर बहुत अच्छा काम हो रहा है। एसडब्ल्यूएफएच सेंटर में फॉरेंसिक के साथ हिस्टोपैथोलॉजी व पोचिंग के केसों के लिए प्रयोग नई तकनीकों के प्रयोग से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। -अर्भना केएम, सीनियर आईएफएस, महाराष्ट्र