
पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। रायसेन जिले के ग्राम भुरेरु निवासी किसान सुरेन्द्र कुशवाहा करीब छह साल से गेहूं की खेती बंद करके सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि सब्जियों से अच्छीआय हो जाती है। सालभर में दस एकड़ में गेहूं उत्पादन करने में जितनी आय होती थी उससे ज्यादा सिर्फ डेढ़ एकड़ में सब्जियों से होने लगी है। अकेले सुरेन्द्र का ही रुझान ही गेहूं में कम नहीं हुआ है बल्कि ये संख्या हजारों में पहुंच गई है।
यही कारण है कि गेहूं उपार्जन में सात बार कर्मण पुरस्कार हासिल करने वाले मप्र में पिछले चार साल से गेहूं का उत्पादन घटने लगा है। इससे प्रदेश के किसानों की आय दोगुना करने सरकार के प्लान पर असर पड़ा है। उत्पादन में कमी आने के पीछे कृषि वैज्ञानिक क्लाइमेट चेंज मान रहे हैं। वहीं किसानों ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की बोवनी कर रहे हैं।
दालों का उत्पादन बढ़ा
गेहूं उत्पादन में पंजाब को टक्कर देने वाले मध्यप्रदेश में वर्ष 2019-20 में 371.98 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था जो 2023-24 में 329.72 लाख मीट्रिक टन उत्पादन रह गया। राज्य के आंकड़े भी बता रहे कि अनाज में 1.91 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं दालों में 42.62 प्रतिशत और तिलहन में 7.32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सब्जी उत्पादन में 236.41 मीट्रिक टन से बढ़कर 242.62 एमटी हो गया।
गेहूं की तरफ किसानों का रुझान कम होने के 2 कारण
- तापमान: गेहूं की फसल रबी सीजन में होती है। दिसंबर के आखिरी और जनवरी के पहले सप्ताह में तापमान में काफी वेरिएशन होता है। अगर न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री तक पहुंच जाता है तो गेहूं के दाने पोचे हो जाते हैं और पाले का असर भी गेहूँ पर ज्यादा होता है।
- टाइम पीरियड: आमतौर पर गेहूं की फसल 110 से 120 दिन में पकती है, जबकि सब्जियों में आलू दो माह में ही तैयार हो जाता है। ऐसे में किसान एक ही अवधि में 2 बार आलू की फसल ले लेते हैं। किसान लाभ के लिए उन फसलों की ओर बढ़ रहे हैं, जिनकी कीमत गेहूं से दोगुनी रहती है।
आयुक्त कृषि से नहीं मिला जवाब: पीपुल्स समाचार ने आयुक्त कृषि एम सेलवेंद्रन से कई बार संपर्क किया। वाट्सऐप पर सवाल भेजे लेकिन गेहूं उत्पादन में कमी आने को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
खेती का पैेटर्न बदलने से गेहूँ की आवक में 20 फीसदी कमी
खेती का पैटर्न बदलने से गेहूं की आवक में 15 से 20 % की कमी आई है। पैदावार में कमी के साथ ही गेहूं की दक्षिण भारत में खपत बढ़ना बड़ा कारण है। पहले मंडी में सीजन में हर दिन करीब 15 हजार क्विंटल गेहूं आता था, अब करीब 12 हजार क्विंटल आवक रह गई है। -संजीव जैन‘गेहूं’, थोक व्यापारी, करोद मंडी, भोपाल
सब्जी और धान की फसल से किसानों की बढ़ रही आय
किसानों का धान की ओर रुझान बढ़ा है। सब्जी हाईब्रीड की उगाने से किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी हो रही। किसानों को यह नहीं पता होता कि मौसम के अनुसार कौन सी वैरायटी उपयोग करना है। जलवायु चेंज के कारण गेहूं फसल के उत्पादन में असर पड़ रहा है। -डॉ.आरएस शुक्ला, डायरेक्टर, फार्म्स, जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि जबलपुर