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People’s Knowledge : क्या आपको पता है कि आयकर रिटर्न भरने से क्या फायदा होता है… यह क्यों भरना जरूरी है ? आइए जानते हैं पूरी डिटेल्स…

आयकर कानूनों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की आय इनकम टैक्स की मूल छूट सीमा से ऊपर कुल सकल आय यानी gross total income है, तो ITR दाखिल करना अनिवार्य है। सालाना इनकम पर ITR दाखिल करें या नहीं। इसे लेकर कई तरह के सवाल लोगों के मन में रहते हैं। कई लोगों का मानना है कि अगर उनकी सालाना इनकम ढाई लाख से कम है और वो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं, तो उन्हें ITR भरने की जरूरत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है।

यदि किसी व्यक्ति की कर योग्य आय मूल छूट सीमा से अधिक है, तो आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य हो जाता है। हालांकि, यदि किसी व्यक्ति की शुद्ध कर योग्य आय 5 लाख रुपए से अधिक नहीं है, तो आयकर कानून धारा 87ए के तहत छूट की अनुमति देते हैं। अगर आप इनकम टैक्स के दायरे में नहीं भी आते हैं तब भी आपको रिटर्न फाइल करना चाहिए। इसके कई फायदे हैं।

लोन मिलने में आसानी होती है…

किसी भी व्यक्ति की शुद्ध कर योग्य आय यानी नेट टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से अधिक नहीं है, भले ही उन्होंने पुरानी या नई कर व्यवस्था का चयन किया हो, तो उन्हें धारा 87ए के तहत 12,500 रुपए तक की आयकर छूट मिलती है।

हालांकि, धारा 87ए के तहत इस तरह की छूट का दावा करने के लिए करदाता के लिए अपना आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है। क्योंकि अगर आप ITR फाइल करते हैं, तो ITR फाइल करने से लोन मिलने में आसानी होती है। इसके अलावा ये वीजा के लिए भी जरूरी होता है।

जानिए क्या होती है कर योग्य आय…

मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की शुद्ध कर योग्य आय 4.25 लाख रुपए है। चूंकि आय 5 लाख रुपए की कर योग्य आय से कम है, इसलिए शून्य कर देय होगा। हालांकि, 4.25 लाख रुपए की आय 2.5 लाख रुपए की मूल छूट सीमा से ऊपर है, इसलिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है।

अब जानिए ITR भरने के ये हैं फायदे…

पहला : वीज़ा देते समय दाखिल किए गए आईटीआर और अन्य वित्तीय दस्तावेजों यानी financial documents के प्रमाण की आवश्यकता होती है। इसलिए आईटीआर दाखिल करने से वीजा मिलने में आसानी होती है।

दूसरा : इसी तरह आपको छात्रवृत्ति यानी स्कॉलरशिप की आवश्यकता हो, तो आईटीआर को आय का प्रामाणिक प्रमाण यानी ऑथेंटिक प्रूफ माना जाता है और इसका प्रमाण दिखाने से आपको छात्रवृत्ति मिलने में मदद मिलेगी।

तीसरा : आयकर रिटर्न का अत्यधिक कानूनी महत्व है। यह सरकार के पास दर्ज है। यह दो तरह से कानूनी प्रमाण के रूप में कार्य करता है।

चौथा : आपके द्वारा भरा गया रिटर्न विभिन्न परिदृश्यों में पहचान प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है जैसे कि आधार कार्ड, या किसी अन्य दस्तावेज़ के लिए आवेदन करते समय। सरकार इसे पते के प्रमाण के तौर पर भी स्वीकार करती है।

पांचवां : आप पर लागू होने वाले कर आयकर अधिनियम 1961 द्वारा एप्लिकेबल होते हैं। इस प्रकार, यदि आप छूट मानदंड से ऊपर आते हैं तो आपको कर का भुगतान करना होगा। इसलिए, यदि आप अपनी आय पर कर का भुगतान करने के पात्र हैं और फिर भी अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं, तो आप पर शुल्क लगेगा। आयकर अधिकारी 5000 रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। रिटर्न दाखिल नहीं करने पर अन्य गंभीर सजाएं भी हो सकती हैं।

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