धर्म

विज्ञान का उदगम है ज्योतिष ; इसके सिद्धांतों की प्रामाणिकता देखकर अचंभित हैं वैज्ञानिक

न्यूसी समैया, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्राचार्य

ज्योतिष एक विज्ञान है। यह जानने के लिए सर्वप्रथम हमें यह जानना होगा कि विज्ञान क्या है? विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए करते हैं जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित एवं सुव्यवस्थित करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रकृति के क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित ज्ञान को ही विज्ञान कहा जाता है। अब हम यह जानेंगे कि ज्योतिष क्या है,और हम इसे विज्ञान क्यों कहते हैं।

ज्योतिष को वेदों का छठा अंग कहा गया है और इसे नेत्रों की संज्ञा दी गई है। अर्थात, वेदों का नेत्र! क्योंकि, हम इसी के द्वारा संपूर्ण ब्रह्मांड को देख सकते हैं और उसमें स्थित समस्त प्रकार के चर-अचर पदार्थों का अध्ययन करते हैं। प्रायः समझा जाता है कि व्यक्ति की कुंडली देखकर भविष्यवाणी करना ही ज्योतिष है। परंतु, ऐसा नहीं है। यह ज्योतिष का सिर्फ एक अंग है। ज्योतिष के मुख्यतः तीन स्कंध होते हैं- सिद्धांत, संहिता और होरा। इसमें सिद्धांत स्कंध के अंतर्गत समस्त गणितीय विधाओं का अध्ययन किया जाता है। मनुष्य की व्यक्तिगत कुंडली द्वारा भविष्यवाणी करना होरा स्कंध तथा खगोलीय स्थितियों का देश दुनिया पर पड़ने वाला प्रभाव संहिता स्कंध के अंतर्गत आता है। इसी विज्ञान ने सर्वप्रथम मनुष्य को ब्रह्मांड के रहस्य से अवगत कराया और संपूर्ण ब्रह्मांड में उपस्थित पिंडों, ग्रहों, नक्षत्रों आदि का अध्ययन इसी वेदांग द्वारा किया जाता है। ज्योतिष का गणितीय स्वरूप ही खगोल विज्ञान का आधार है।

हम ज्योतिष में काल गणना करते हैं तथा पृथ्वी पर घटने वाली समस्त खगोलीय घटनाओं का न सिर्फ अध्ययन करते हैं, बल्कि उसे मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव तथा उससे भी एक कदम आगे उसके द्वारा आगामी भविष्य में घटने वाली घटनाओं की भी सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं। तो क्या हम यह नहीं कह सकते कि विज्ञान से भी एक कदम आगे जैसे ऋतु का प्रभाव, समुद्र में ज्वार भाटा का आना तथा और भी समस्त ब्रह्माण्ड में घटने वाली खगोलीय घटनाओं का अध्ययन इसी विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है।

कहते हैं ज्योतिष वेदों से भी पुराना हैं और उसमें वर्णित है कि सूर्य एक तारा है। पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है। चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। आधुनिक वैज्ञानिक अथक परिश्रम और अपार धनराशि खर्च करके इन्हीं निष्कर्षों पर पहुंचे हैं। जैसे ज्योतिष में करोड़ों वर्षों पूर्व यह खोज की गई कि मंगल का रंग लाल है। आज वैज्ञानिक भी इसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि मंगल का रंग लाल है। इसी प्रकार जिस तरह से ज्योतिष में ग्रहों की गति दूरी, सूर्य से ग्रहों की दूरी, उनके क्रम का विस्तार से जो वर्णन है वह विज्ञान द्वारा ही संभव है। यह कला का विषय नहीं है।

जिस प्रकार प्राचीन ज्योतिष के मुताबिक पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन लगाती है, आज विज्ञान वही मानता है। हमारे ज्योतिष में ग्रहों को जो रंग प्रदान किए गए हैं आधुनिक विज्ञान भी इसी सिद्धांत को प्रतिपादित करता है। सन 1610 ईस्वी में Galilio Galilie ने पहली बार टेलिस्कोप से देखकर मंगल का लाल रंग का बताया था, जबकि हमारे वेदों में यह अनादि काल से वर्णित है। अतः हम कह सकते हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने यह खोज पहले ही कर रखी थी। सूर्य सिद्धांत के अंतर्गत ग्रहों की जो आकाशीय स्थिति है, सूर्य से जो दूरी है और उनका आकार है सभी कुछ आज के वैज्ञानिक आधुनिक यंत्रों द्वारा रिसर्च करके उन्हीं निष्कर्षों पर पहुंच रहे हैं, जो ज्योतिष विज्ञान में दर्ज हैं।

(न्यूसी समैया ने इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोलॉजी (भारतीय विद्या भवन) नई दिल्ली से ज्योतिष अलंकार की डिग्री ली है। ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ, ज्योतिष शिरोमणि सम्मान से पुरस्कृत न्यूसी 25 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। वह स्कूल ऑफ एस्ट्रोलॉजी की डायरेक्टर भी हैं।)
मोबाइल नंबर 7470664025

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