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वेलनेस टू हैप्पीनेस : आरएसएस सुधारेगा समाज की ‘मेंटल हेल्थ’

मेडिकल रिपोर्ट्स में खुलासा; देश की 73 फीसदी आबादी किसी न किसी मनोरोग की शिकार

राजीव सोनी/भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पहली बार समाज के मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने का बीड़ा उठाया है। मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में व्यापक क स्तर पर यह अभियान शुरू किया जा रहा है। संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में यह निर्णय लिया गया। जबलपुर में अगले महीने इस मुद्दे पर 8 राज्यों के विभिन्न विशेषज्ञ एकत्र होकर ”वेलनेस टू हैप्पीनेस ” प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने की रूपरेखा तय करेंगे। इस दौरान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और रिसोर्स पर्सन भी मौजूद रहेंगे। गांव-कस्बों से लेकर बड़े शहर और महानगरों में भी शिविरों के माध्यम से हर उम्र के लोगों को इस मुहिम का हिस्सा बनाने की योजना है। दरअसल कई मेडिकल रिसर्च और संस्थानों की सर्वे रिपोर्ट्स में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि देश की 73 फीसदी आबादी किसी न किसी मनोरोग की शिकार है।

रिपोर्ट्स में ये सामने आया

सर्वे रिपोेर्ट मेें पाया गया कि लोगों में स्मार्टफोन एडिक्शन, सोशल मीडिया एडिक्शन, एंजायटी, सोशल फोबिया, डिप्रेशन और इसके बाद की समस्याएं पाई गई हैं। इनमें शहरी-ग्रामीण बच्चे युवा महिला-पुरुष से लेकर बुजुर्ग भी शामिल हैं। यहां तक कि मेडिकल स्टूडेंट्स से लेकर नौकरशाह-कर्मचारी, इंजीनियर्स, वकील और समाज के प्रबुद्धजन भी हैं। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि देश के सभी राज्यों में एक साथ यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। संघ ने आरोग्य भारती को प्रोजेक्ट के लिए नोडल एजेंसी बनाया है।

जबलपुर में बनेगा रोड-मैप

जबलपुर में जून में होने वाली वर्कशॉप में मप्र के अलावा उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, झारखंड और छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञ, संघ पदाधिकारी और रिसोर्स पर्सन शामिल होंगे। गांवशहरों में छोटे-बड़े सभी मनोरोगियों को स्वस्थ बनाने के लिए संघ ने मनोचिकित्सा विशेषज्ञ, योगाचार्य, डायटीशियन, स्प्रिचुअल मोटीवेटर, आयुर्वेदाचार्य और काउंसलर्स सहित अन्य विशेषज्ञों की अनेक टीमें गठित की हैं। ये लोग स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थलों पर जाकर जनजागरुकता के साथ समस्या समाधान के तौर-तरीके भी बताएंगे।

परिवार टूटने से बिगड़ रहा समाज का ताना-बाना

हमारे समाज का ताना-बाना तेजी से बिगड़ रहा है। संयुक्त परिवार टूटने से भी यह स्थिति बनी है। विभिन्न मेडिकल जर्नल्स की सर्वे रिपोर्ट्स बता रही हैं कि समाज का बड़ा वर्ग मनोरोगों का शिकार हो रहा है। आरएसएस ने इस नवाचार के जरिए आरोग्य भारती को लोगों के मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को दुरुस्त करने का टास्क सौंपा है। – मिहिर कुमार झा, राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख आरोग्य भारती

एमबीबीएस के छात्र भी सोशल मीडिया व स्मार्टफोन एडिक्ट

हां, यह सही है कि समाज का बड़ा वर्ग कई तरह के मनोरोगों का शिकार है। मैंने राजस्थान में एमबीबीएस के 550 छात्रों की दिनचर्या पर विस्तृत रिसर्च की है। इसमें 65-68 फीसदी छात्रों में स्मार्टफोन का सीवियर और सोशल मीडिया का मॉडरेट एडिक्शन पाया गया। ज्यादातर लोगों में एंजायटी जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। -डॉ. रुचि सोनी, एसो. प्रो. मनोचिकित्सा विभाग,गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल

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