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एक इंडस्ट्री का कचरा, किसी दूसरे उद्योग के लिए रॉ मटेरियल बनाने पर होगा काम

अब सर्कुलर इकोनॉमी पर सरकार का जोर, प्लास्टिक कचरे पर फोकस

अशोक गौतम-भोपाल। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा भारत में निकलता है। इसलिए अपशिष्ट प्रबंधन पर काम किया जा रहा है, जिससे इसके दुष्प्रभाव को कम कर सकें। अब प्रदेश सरकार सर्कुलर इकोनॉमी पर जोर देगी। इनमें किसी एक इंडस्ट्री के कचरे को किसी दूसरे इंडस्ट्री के लिए रॉ मटेरियल बनाया जाएगा। इसमें सौ प्रतिशत कचरे के उपयोग पर काम किया जाएगा।

सभी विभागों को कार्ययोजना बनाने के लिए कहा गया है, जो उद्योगों के साथ मिलकर प्लान तैयार करेंगे। सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में सामान्य दरों पर जगह उपलब्ध कराएगी। सभी तरह के कचरों का हिसाब-किताब किया जाएगा। अभी तक सिर्फ प्लास्टिक कचरे के हिसाब किताब पर सरकार का ज्यादा जोर होता है।

सरकार के सामने अब सोलर वेस्ट की चुनौती

सरकार के सामने अब सोलर ई-वेस्ट एक बड़ी चुनौती सामने है। प्रदेश में जिस तरह से सोलर क्रांति चल रही है उससे यहां बहुत सोलर वेस्ट निकाल सकता है। प्रदेश में पिछले 5-7 सालों के अंदर खराब सोलर पैनलों की संख्या बहुत ज्यादा होगी। इसके री-यूज पर काम किया जा रहा है।

इसलिए कर रहे प्लानिंग

हर तरह के कचरे को री-साइकिल कर सामग्री तैयार करने पर काम होगा। सरकार का मानना है कि अगर कचरे का उपयोग नहीं किया गया तो इसका ढेर लगने लगेगा, जो एक अलग तरह की चुनौती बनकर सामने आएगा। हालांकि कुछ कचरे का उपयोग हो रहा है ।

इसके उपयोग की अनिवार्यता

उद्योगों को कचरे के उपयोग की अनिवार्यता होगी। कोई भी उद्योग इसे लेने के लिए मना नहीं कर सकेगा। इसके अलावा इसके उपयोग के लिए सरकार अलग-अलग तरह से अनुदान देने का काम करेगी। इसके संग्रहण के लिए भी अलग तरह की एजेंसियों को लाइसेंस जारी किया जाएगा।

अभी ये स्थिति

  • 1.38 लाख टन प्लास्टिक कचरा हर साल प्रदेश में निकलता है ।
  • 8,000 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट रोज निकलता है ।
  • 5,000 टन ई वेस्ट अपशिष्ट प्रतिदिन। – स्रोत मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

अभी ये कर रही सरकार

  • अभी सरकार फ्लाई ऐस (बिजली संयंत्रों से निकलने वाली कोयले की राख) से ईंटें बना रही है। सीमेंट इंडस्ट्री में इसे भेजा जा रहा है।
  • 50 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन का उपयोग सीमेंट इंडस्ट्री में हो रहा ।
  • 50 माइक्रॉन से ऊपर की पॉलीथिन से प्लास्टिक के घरेलू सामान और खिलौने बनाए जा रहे हैं।
  • सीवेज अपशिष्ट से खाद बन रही है।
  • ठोस अपशिष्ट का उपयोग बिजली संयंत्रों में हो रहा है और टाइल्स बनाए जा रहे हैं ।
  • ई वेस्ट के अलग अलग मटेरियल का सेग्रीगेशन कर अलग अलग उद्योगों को रॉ मटेरियल दिया जा रहा है।

सर्कुलर इकोनॉमी पर जोर

सर्कुलर इकोनॉमी पर विशेष तौर पर काम किया जा रहा है। वर्तमान में इस प्लास्टिक, फ्लाई ऐश पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। धीरे धीर सभी वेस्ट का उपयोग रॉ मटेरियल में किया जाएगा। -गुलशन बामरा, पीएस, पर्यावरण विभाग

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