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20 दिन से बुखार में था, डॉक्टर से कहा, कविता सुना लूं तो ठीक हो जाऊंगा

350 वां हिंदवी स्वराज्य स्थापना समारोह समिति का राष्ट्रीय कवि सम्मेलन बुधवार को रवींद्र भवन में आयोजित किया गया। इस मौके पर वरिष्ठ कवि डॉ. हरिओम पंवार समेत दिल्ली, गुरुग्राम, ओरछा और पुणे के कवि शामिल हुए। जिन्होंने वीर रस की रचनाएं सुनाईं। कवि सम्मेलन में मेरठ से आए कवि डॉ. हरिओम पंवार पिछले 20-22 दिन से बुखार में थे, साथ ही उनके घुटनों में चोट लगी हुई थी, उन्होंने श्रोताओं से मुखातिब होते हुए कहा कि ‘डॉक्टर ने मुझे कवि सम्मेलन में न आने की सलाह दी थी लेकिन मैंने कहा जाने दो, दो-चार कविताएं सुनाकर ठीक हो जाऊंगा’।

दरअसल उन्होंने यह बात इसलिए साझा कि क्योंकि वे अपनी कुर्सी पर बैठकर ही रचना सुनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने श्रोताओं से अनुमति लेना उचित समझा। उन्होंने कहा कि मुझे बैठकर कविता का पाठ करने की अनुमति तालियां बजाकर दीजिए, फिर क्या था श्रोता उनके इस विनम्रतापूर्ण व्यवहार के कायल हुए और उन्होंने जोरदार तालियों के कवि का मंच पर स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रिगेडियर आर. विनायक ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री मप्र उषा ठाकुर एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल मौजूद थे।

सुनाईं गईं वीर रस की कविताएं

वेदों का सार और गीता का गान लिख आया, विजयी विश्व तिरंगे की शान लिख आया, सवाल ये था कि लिखो स्वर्ण कैसा दिखता है, मैं जवाब में हिंदुस्तान लिख आया। -वैभव गुप्ता, कवि- पुणे

भारत के नौजवान भारती पुकारती है, भेदभाव छोड़कर साथ- साथ आइए, दांव पर लगी है फिर भारती की लाज आज, सिंहनाद कर फिर से देश को जगाइए । कश्मीर से सुदूर कन्याकुमारी तक भारत का कण- कण ईश वरदान है। -डॉ. कीर्ति काले, कवि, दिल्ली

कवि ताली बिन नहीं मानेगा नेता वोट बिन नहीं मानेगा अफसर नोट बिन नहीं मानेगा और पाकिस्तान लठ्ठ बिन नहीं मानेगा। -अशोक बत्रा, कवि, गुरुग्राम

संसार की श्रेष्ठा हो तुम नारी हो, युग दृष्टा हो तुम आदि हो तुम अंत तुम ही दिव्य तुम हो दिव्या तुम ही, हो बहुत बढ़ चुकी भारत मां की संभव हो, तो पीर बचा ले हे नारी तू नीर बचा ले, भारत की तस्वीर बचा ले। -सुमित ओरछा, कवि, ओरछा

नई सदी का भारत है, 62 वाला दौर नहीं है, हम भी दुनिया के दादा हैं, दिल्ली हैं – लाहौर नहीं, रावलपिंडी के दिल में जब खोट दिखाई देता है, उनको सपनों में भी बालाकोट दिखाई देता है, हमने डर को कूटनीति से दूर हटाकर रखा है, दिल्ली के सिंहासन पर इक शेर बिठा रखा है, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर वापस आने वाला है। -डॉ. हरिओम पंवार, कवि -मेरठ

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