पीपुल्स संवाददाता, भोपाल। मेरी बचपन से इच्छा थी कि किसी ऐसे फील्ड में जाऊं जहां लोगों से सीधे जुड़ाव हो। मम्मी-पापा से सुनती रहती थी कि कलेक्टर का क्या महत्व होता है। पहले तो मैंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनना चाहती थी, लेकिन मेरा मन आईएएस बनने में लगा था। इसीलिए मैंने पहले भेल में नौकरी करते हुए एक अटैंप्ट दिया, लेकिन असफल रही। मैं श्योर थी कि मैं अवश्य सफल होऊंगी, लेकिन यूपीएससी का इतना कठिन एग्जाम होने के कारण सेकंड पोजीशन की उम्मीद नहीं थी। इसीलिए भेल की नौकरी छोड़कर एक साल मेहनत की और यह सफलता मिली। यह बात यूपीएससी एग्जाम में सेकंड पोजीशन प्राप्त करने वाली जागृति अवस्थी ने पीपुल्स समाचार से अपने अनुभव शेयर करते हुए बताई।
जागृति ने बताया कि उसे गेट में 51वीं रेंक मिली थी और उसके बाद वह वर्ष 2017 से 2019 तक भेल में नौकरी भी की, लेकिन उसका रुझान आईएएस बनने तरफ था। वे रूरल बैकग्राउंड से हैं, इसलिए उसकी इच्छा थी कि वह लोगों के बीच जाकर रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में कुछ काम करें। जागृति ने बताया कि एग्जाम के लिए प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थीं, जो एग्जाम के समय 12 से 14 घंटे तक हो जाती थी। उनके मम्मी-पापा और भाई का भरपूर सहयोग मिला। घर में चार साल से टीवी खराब है, उसे बनवाया तक नहीं, यहां तक कि कोई मोबाइल में बात करता था तो बाहर चला जाता था, ताकि उनको डिस्टर्ब न हो।
जागृति के पिता डॉ. एससी अवस्थी भोपाल के शासकीय आयुर्वेद अस्पताल में डॉक्टर हैं। मां मधुलता गृहणी हैं। भाई सुयश एबीबीएस कर रहा है, उसने भी बहुत सहयोग किया है। कोरोना काल को भी अवसर बताते हुए जागृति ने बताया कि पूरी पढ़ाई उन्होंने घर पर रहकर की है। उनकी रुचि राइटिंग व स्पीकिंग में है।
जागृति ने महर्षि विद्या मंदिर से पढ़ाई की है, यहां 12वीं उसके 94.8 प्रतिशत अंक मिले थे। उसके बाद मैनिट से 2017 के बैच में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। जागृति ने इन्फोसिस के संस्थापक के नारायण मूर्ति को अपना रोल मॉडल मानती हैं।
अपनी पोस्टिंग के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश काडर पसंद है, वहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं, बाकी उन्होंने मध्यप्रदेश भी सिलेक्ट किया है। यूपीएससी की तैयारी करने वाले स्टूडेंट को अपना संदेश देते हुए जागृति ने कहा कि इसमें हार्डवर्क की जरूरत नहीं, स्मार्ट वर्क करें। बस लगे रहें सफलता अवश्य मिलेगी।