नई दिल्ली। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ एक्ट संशोधन बिल को पेश किया। बिल पेश करते ही संसद में हंगामा होने लगा। विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है।
दोपहर एक बजे अध्यक्ष ओम बिरला की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को पुर:स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिसका विरोध करते हुए विपक्ष ने नियम 72 के तहत इस प्रस्ताव पर चर्चा करवाने के मांग की। बिरला ने विपक्ष की भावना को देखते हुये अध्यक्ष ने नियम 72 के तहत उनके बात रखने की अनुमति दी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, माकपा, भाकपा, वाईएसआर कांग्रेस आदि पार्टियों ने जहां विधेयक का विरोध किया, वहीं सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल यूनाइटेड, तेलुगु देशम और शिवसेना ने इस विधेयक का समर्थन किया।
मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा : रिजिजू
विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विधेयक में किसी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया। इसके बाद कई संशोधन किए गए।” रिजिजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है, जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय बनी सच्चर समिति और एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का उल्लेख किया और कहा कि इनकी सिफारिशों के आधार पर यह विधेयक लाया गया।
आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला : वेणुगोपाल
विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान और संघवाद पर हमला है तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश से अयोध्या में मंदिर बोर्ड का गठन किया गया। क्या कोई गैर हिंदू इसका सदस्य हो सकता है। फिर वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्य की बात क्यों की जा रही है?” वेणुगोपाल ने दावा किया कि यह विधेयक आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी आप मुस्लिम पर हमला कर रहे हैं, फिर ईसाई पर करेंगे, उसके बाद जैन पर करेंगे।”
यह संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला : ओवैसी
वक्फ संशोधन विधेयक का AIMIM चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला है। वक्फ संशोधन बिल मनमाना और भेदभावपूर्ण है। वहीं NCP-SCP सांसद सुप्रिया सुले ने विधेयक का विरोध करते हुए लोकसभा में पेश करने से पहले इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। सुले ने कहा कि विधेयक को अधिक सिफारिशों के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए या एक संयुक्त संसदीय समिति बनाई जानी चाहिए। वहीं कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक का विरोध किया है।
यह बिल मजहब में दखलअंदाजी है : सपा सांसद
सपा सांसद मोहिब्बुल्लाह ने कहा- वक्फ संशोधन बिल मुस्लिमों के हकों के खिलाफ है। यह बिल मजहब में दखलअंदाजी है। अगर ऐसा होगा तो कोई भी अल्पसंख्यक देश में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेगा। सपा सांसद ने कहा, ‘‘अगर यह कानून पारित हुआ तो अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे… कहीं ऐसा नहीं हो कि जनता दोबारा सड़कों पर आ जाए।” TMC सांसद सुदीप बंधोपाध्याय, DMK सांसद के. कनिमोझि ने इस बिल को संविधान विरोधी बताया।
ललन सिंह ने कहा- ये बिल पारदर्शिता के लिए, मुसलमान विरोधी नहीं
संसद में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने वक्फ बिल का समर्थन किया है। विपक्ष पर पलटवार करते हुए ललन सिंह ने कहा कि ये बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। मंदिर की बात कहां से आ गई। कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी। ये उसका अधिकार है। पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है। उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, सिखों का कत्लेआम किसने किया था।
शिवसेना ने विपक्ष पर किया जोरदार हमला
शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने विपक्ष पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि जो देश की व्यवस्थाओं को जाति एवं धर्म के आधार पर चलाना चाहते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। इस विधेयक का मकसद पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाना है लेकिन संविधान पर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनकी सरकार ने जब महाराष्ट्र में शिर्डी, महालक्ष्मी मंदिरों में प्रशासक बैठाये थे, उन्हें संविधान एवं संघीय ढांचे की याद क्यों नहीं आयी।
चिराग पासवान की पार्टी का रिएक्शन
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर NDA सहयोगी चिराग पासवान की पार्टी LJPR का रिएक्शन भी सामने आ गया है। चिराग की पार्टी ने कहा है कि ये बिल मुसलमानों के खिलाफ नहीं है लेकिन इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाना चाहिए।
इन संशोधन का प्रस्ताव है
- वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन बिल पास होने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा।
- विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का प्रस्ताव।
- किसी भी जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका वेरिफिकेशन करना जरूरी हो जाएगा।
- वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना।
- वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन, बोर्ड की संरचना में बदलाव की संभावना है।
- निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव।
- बिल में राज्य वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाली विवादित जमीनों का नए सिरे से सत्यापन कराने का भी प्रस्ताव है।
वक्फ बोर्ड पर नए बिल से क्या प्रभाव पड़ेगा
देश में रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद वक्फ बोर्ड तीसरी सबसे ज्यादा जमीन पर मालिकाना हक रखने वाली संस्था है। नए संशोधनों के बाद किसी भी जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इससे बोर्ड की जवाबदेही बढ़ेगी और मनमानी पर रोक लगेगी। पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी।
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क्या है वक्फ बोर्ड?
वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है। वक्फ को दान का एक रूप माना जाता है। वक्फ मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है। संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे का हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं।
1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया, सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की। 1995 में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया। वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए।
वक्फ बोर्डों के पास हैं 8.7 लाख संपत्तियां
देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाकर वक्फ बोर्डों को और अधिकार दिए थे।