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पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा, तीन की मौत, हाईकोर्ट ने दिए केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश

मुर्शिदाबाद। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में शनिवार को एक बार फिर वक्फ कानून के विरोध में हिंसा भड़क उठी। हिंसक भीड़ ने हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने वाले हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी। यह दर्दनाक घटना शमशेरगंज ब्लॉक के धुलियान इलाके में हुई। इस हमले में एक अन्य व्यक्ति को गोली लगी, जिसे घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

धुलियान में दो दिन में तीन मौतें

धुलियान में शुक्रवार 11 अप्रैल को भी हिंसा हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ था। शनिवार को उसकी मौत हो गई। इसके साथ ही दो दिनों में इस क्षेत्र में मरने वालों की संख्या तीन हो गई है। हालात बिगड़ने के चलते प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सेंट्रल फोर्स तैनात करने के दिए आदेश

राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए तुरंत कदम उठाने को कहा है।

अब तक कुल 118 लोग गिरफ्तार

कोलकाता में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ADG (लॉ एंड ऑर्डर) जावेद शमीम ने कहा कि शनिवार की हिंसा की पूरी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस की ओर से गोली नहीं चलाई गई है, लेकिन BSF की ओर से गोली चलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि घायल खतरे से बाहर है और अब तक कुल 118 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

ममता बनर्जी का शांति बनाए रखने की अपील

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को प्रेस को संबोधित करते हुए लोगों से संयम बरतने और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “वक्फ कानून राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। यह कानून केंद्र द्वारा बनाया गया है, इसलिए सवाल भी केंद्र से किया जाना चाहिए। मेरी अपील है कि राजनीति के नाम पर दंगे न भड़काएं, सबकी जान कीमती है।”

11 अप्रैल को चार जिलों में फैली थी हिंसा

मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों में 11 अप्रैल को व्यापक हिंसा फैली थी। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया था और पुलिस पर जमकर पथराव किया गया था। सुइटी थाना क्षेत्र के साजूर क्रॉसिंग में पुलिस पर क्रूड बम भी फेंके गए थे, जिसमें 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात काबू करने के लिए पुलिस को चार राउंड फायरिंग करनी पड़ी थी, जिसमें दो लोग घायल हुए थे। उनका इलाज जारी है।

राज्यपाल ने गृहमंत्री शाह से की बातचीत

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत की है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मुर्शिदाबाद, मालदा और दक्षिण 24 परगना के संवेदनशील इलाकों में हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। राजभवन द्वारा जारी वीडियो में बोस ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने और विरोध के नाम पर जान-माल का नुकसान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

कट्टरपंथी समूह संविधान का विरोध कर रहे- शुभेंदु अधिकारी

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि राज्य में अराजकता फैली हुई है और कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कहा, “कुछ कट्टरपंथी समूह खुलेआम संविधान और कानून की अवहेलना कर हिंसा फैला रहे हैं। आम नागरिक असुरक्षित हैं और सरकार मौन दर्शक बनी हुई है।”

AIMPLB ने कहा, 87 दिन चलेगा आंदोलन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ कानून के विरोध में 87 दिन का ‘वक्फ बचाव अभियान’ शुरू किया है, जो 7 जुलाई तक चलेगा। इस अभियान के तहत 1 करोड़ लोगों से हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा। बोर्ड का कहना है कि इस अभियान की रणनीति शाह बानो मामले (1985) की तरह व्यापक जन आंदोलन के रूप में बनाई गई है।

AIMPLB की महिला विंग देशभर के शहरों और गांवों में कार्यक्रम आयोजित करेगी, ताकि महिलाओं को वक्फ कानून के खिलाफ जागरूक किया जा सके। बोर्ड ने अपने समुदाय से संयम बरतने और किसी भी भावनात्मक या उग्र प्रतिक्रिया से बचने की अपील की है।

सरकार पर सांप्रदायिक एजेंडा चलाने का आरोप

AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने वीडियो संदेश में केंद्र सरकार पर सांप्रदायिक एजेंडा चलाने और धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वक्फ विधेयक न केवल इस्लामी मूल्यों और शरीयत के खिलाफ है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और भारतीय संविधान की भावना के भी विरुद्ध है। उन्होंने इसे ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ आंदोलन का नाम दिया है और घोषणा की है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक विधेयक पूरी तरह से रद्द नहीं कर दिया जाता।

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