
पल्लवी वाघेला, भोपाल। माता-पिता के विवाद में सबसे अधिक खामियाजा बच्चे ही भुगतते हैं, लेकिन शहर में एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है। पत्नी पर दबाव बनाने पति बच्चों की जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ रहे हैं। वे चाहते हैं कि पत्नी समझौता कर ले या उनकी जिंदगी से चली जाए। वह बच्चों की स्कूल की फीस आदि नहीं देते, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर असर दिखे और मजबूरी में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने पत्नी उनकी बात मान ले। एक माह में गौरवी सखी केन्द्र ने 10 बच्चों की फीस जमा कराईं।
केस-1
रमा (परिवर्तित नाम) ने गौरवी में बताया कि उनकी बच्ची आगे पढ़ना चाहती है, लेकिन पति शराब के नशे में मारपीट करता है और फीस और खर्च के लिए पैसे नहीं देता। बच्ची की फीस दो साल से नहीं भरी गई थी। मामले में संस्था से जुड़े सहयोगियों ने मदद की और बच्ची अभी पढ़ रही है।
केस-2
एक अन्य महिला ने घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया हुआ है। पति ने उस पर दबाव बनाने बच्चों की फीस देने से मना कर दिया। महिला के लिए अपना और बच्चों का खर्च मुश्किल था। ऐसे में केन्द्र ने वापस बच्चों की शिक्षा जारी कराई। साथ ही इन मामलों में संस्था विधिक सहायता मुहैया करा रही है।
दबाव बनाने के लिए पत्नियों के दस्तावेज भी नहीं देते पति
न केवल बच्चों बल्कि दबाव बनाने के लिए पति, पत्नियों के आवश्यक दस्तावेज भी गायब कर देते हैं। गौरवी पहुंची पीड़िता रुबीना (परिवर्तित नाम) ने गौरवी को बताया कि उसके पढ़ाई से संबंधित दस्तावेज उसके पास नहीं है। इससे न तो वह आगे पढ़ पा रही थी और न ही कोई जॉब कर पा रही थी। दस्तावेज न होने से वह खुद को असहाय महसूस कर रही थी। गौरवी सेंटर की प्रोग्राम ऑफिसर सौम्या सक्सेना बताया कि केंद्र के सहयोग से पीड़िता के पुराने दस्तावेज व सर्टिफिकेट दिलवाए गए और साथ ही यंग अर्बन वूमेन प्रोग्राम के तहत उसने ग्रेजुएशन के लिए अपना प्राइवेट फॉर्म भी डाल दिया है।
गौरवी सखी वन स्टॉप सेंटर द्वारा अभी भोपाल जिले की 60000 से ज्यादा पीड़ित महिलाओं को किसी न किसी तरह मदद पहुंचाई गई है। वर्तमान में कुछ पीड़ित महिलाएं, जिनके प्रकरण गौरवी में दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि पति, बच्चों की स्कूल की फीस नहीं भर रहे थे जिस कारण बच्चों की शिक्षा का नुकसान हो रहा था। ऐसी 10 पीड़ित महिलाओं को गौरवी सखी वन स्टॉप सेंटर के द्वारा सहयोग किया गया है। इसके लिए एक्शन ऐड एसोसिएशन संस्था के द्वारा संचालित यंग अर्बन वूमेन प्रोग्राम के अंतर्गत व कुछ अन्य सहयोगियों के द्वारा इन बच्चों की फीस डायरेक्टर स्कूल में जमा कराई गई है ताकि बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। इससे पहले भी कई पीड़ित महिलाओं और उनके बच्चों को शिक्षा में सहयोग किया गया है, जिससे शिक्षा निरंतर चलती रहे। -शिवानी सैनी, को-ऑर्डिनेटर, गौरवी सेंटर