भोपालमध्य प्रदेश

Valentine’s Day : जुदाई के 54 साल बाद भी कर रहे प्रेयसी का इंतजार, दोनों ने अब तक नहीं की शादी

“दिल को है तेरी तमन्ना, दिल को है तुझसे ही प्यार
चाहे तू आए या ना आए, हम करेंगे इंतजार
ये मेरा दीवानापन है”

पल्लवी वाघेला, भोपाल। गायक मुकेश के इस गीत को गाते हुए करीब 78 वर्षीय बुजुर्ग रमेशचंद्र दुबे की आंखें डबडबा जाती हैं। उन्हें जुदाई के 54 साल बाद भी अपनी प्रेयसी की ‘हां’ का इंतजार है। अपना घर वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्ग की प्रेम कहानी अनूठी है। स्वजाति के बाद भी ऊंच-नीच के भेद ने रमेश जी को रानी मिश्रा (परिवर्तित नाम) से दूर कर दिया। परिवारों ने रजामंदी नहीं दी तो दोनों ने आजीवन शादी न करने का प्रण ले लिया। बीते कुछ सालों से वह अपनी प्रेयसी से संपर्क में नहीं हैं, लेकिन आज भी इंतजार है। रमेश जी की प्रेम कहानी उन्हीं की जुबानी।

उसकी आवाज कमाल की थी

वो बहुत खूबसूरत थी, यह कहते हुए रमेश जी की आंखों में चमक और होठों पर मुस्कान आ जाती है। वह बताते हैं- वो 18 बरस की थी और मैं 21 का। कॉलेज आते-जाते हमारी मुलाकात हुई। हम लोग टीकमगढ़ में थे। इजहार करने में ही एक साल बीत गया। फिर मिलने के बहाने ढूंढे। हम जब भी मिलते, वो मुझे राजेन्द्र कुमार कहकर बुलाती और मैं उसके लिए गाता ‘छलके तेरी आंखों से शराब और भी ज्यादा’।

मैं उसकी आवाज का भी मुरीद था। बाद में वह दूरदर्शन में एनाउंसर रही। परिवारों ने हमारे प्यार को रजामंदी नहीं दी। हम जब आखिरी बार मिले तो मैं 24 साल का था। उसके बाद कभी उसे नहीं देखा। हां, जानने वालों से उसके बारे में जानकारी मिलती रही। परिवार के लाख कहने पर भी उसने शादी नहीं की। बीते करीब दस साल से रानी की कोई खबर नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि एक बार उससे मिलना जरूर होगा।

इंतजार आज भी, इसलिए वैलेंटाइन पर लाता हूं फूल

रमेश जी कहते हैं – हर वैलेंटाइन पर उसके लिए फूल लेकर जरूर आता हूं। यदि वह अचानक सामने आई तो उसे कहूंगा- आई लव यू। अब तो मुझसे शादी कर लो। ख्वाब है कि उसे गोवा घुमाने ले जाऊं। उसके लिए मेरा प्यार कभी खत्म नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि हम दोनों को अपना प्यार सिर्फ अपने परिवार की मंजूरी नहीं मिलने के कारण छोड़ना पड़ा।

सोशल मीडिया पर शुरू हुई मिलाने की कोशिश

अपना घर की संचालिका माधुरी मिश्रा ने बताया बुजुर्ग अपने प्यार को इस कदर याद करते हैं कि हर आने वाले से एक बार रानी का जिक्र जरूर होता है। इसी कड़ी में बीते दिनों टाउन प्लानर और समाजसेवी सुयश कुलश्रेष्ठ ने जब रमेश जी की जुबानी उनकी प्रेम कहानी सुनी तो उन्होंने फेसबुक पर एक कोशिश शुरू की है, ताकि रमेश जी के प्यार को तलाश कर उनसे मिलवाया जा सके।

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