
Diwali 2024। लंकापति रावण का वध करने के बाद श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ अयोध्या लौट आये। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर श्री राम, लक्ष्मण और सीता जी का स्वागत किया। इसी खुशी में दिवाली मनाई जाती है। त्रेतायुग से लेकर आज के कलियुग तक दिवाली मनाने के तरीके में कई बदलाव आ चुके हैं। विविधता से भरे भारत में दिवाली से जुड़ी कई परंपराएं हैं, लेकिन अक्सर मन में यह सवाल आता है कि रावण के देश यानी लंका में दिवाली कैसे मनाई जाती है। रावण की नगरी लंका, जो आज श्रीलंका के नाम से जानी जाती है, यहां दिवाली मनाने के तरीके भारत से थोड़े अलग हैं। आइए जानते हैं श्रीलंका में दिवाली कैसे मनाई जाती है…
दिवाली के लिए विशेष साफ-सफाई
दिवाली के दिन कुछ जगहों पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। दिवाली की तैयारियां लोग कई हफ्ते पहले से ही शुरू कर देते हैं। भारत की तरह वहां भी लोग दिवाली से पहले अपने घरों की सफाई करते हैं, जिसे ‘सुथु कांडू’ कहा जाता है। यह सफाई नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता लाने के लिए की जाती है।
दिवाली पर की जाती है भगवान मुरुगन की पूजा
जाफना में कई मंदिर हैं जिन्हें कोविल्स कहा जाता है। दिवाली पर यहां विशेष रौनक देखने को मिलती है। यहां भगवान मुरुगन का नल्लूर कंडास्वामी कोविल सबसे प्रसिद्ध है। जाफना में दिवाली पर लोग इन मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं। नल्लूर कंडास्वामी कोविल बहुत खास है और लोग दूर-दूर से भगवान मुरुगन के दर्शन के लिए आते हैं।
तेल से स्नान
एक अनोखी परंपरा के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में लोग तेल से स्नान करते हैं। मान्यता है कि इससे शरीर और मन शुद्ध होता है। यह परंपरा भारत में इतनी प्रचलित नहीं है।
शाही भोज
दिवाली के दिन श्रीलंका में शाही भोज का आयोजन किया जाता है। लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर खाते हैं। यह एक पारिवारिक मिलन का अवसर होता है।
बौद्ध परंपरा का प्रभाव
श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचलन है। इसलिए यहां दिवाली के साथ-साथ बौद्ध त्योहार भी मनाए जाते हैं। यह भारत में दिवाली मनाने के तरीके से अलग है।
आसमान आतिशबाजी से जगमगा उठता है
भारत की तरह श्रीलंका में भी आतिशबाजी का प्रचलन है। खासकर दिवाली की शाम और रात के वक्त वहां एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। दिवाली की रात घरों में ढेर सारे बल्ब जलाकर रोशनी की जाती है। श्रीलंका में लोग दिवाली को खास तरीके से मनाते हैं। मंदिर में दर्शन करने और विशेष पूजा करने के बाद पूरा आकाश आतिशबाजी से जगमगा उठता है। दीपक के साथ रंग-बिरंगी मोमबत्तियाँ भी जलाई जाती हैं।
भारत और श्रीलंका में दिवाली में अंतर
भारत में दिवाली को भगवान राम की वापसी के रूप में मनाया जाता है, जबकि श्रीलंका में यह मुख्य रूप से एक पूर्वज पूजा का त्योहार है। भारत में दिवाली हिंदू धर्म से जुड़ा है, जबकि श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रभाव अधिक है।