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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के बयान पर मचा बवाल, कहा- देश बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव का विश्व हिंदू परिषद  के कार्यक्रम में दिया गया विवादों में घिर गया है। उन्होंने रविवार को समान नागरिक संहिता पर बोलते हुए कहा कि देश बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। जस्टिस शेखर यादव ने मुसलमानों को ‘कठमुल्ला’ कहते हुए देश के लिए घातक बताया। उनके इस बयान से विवाद खड़ा हो गया है।

विहिप के कार्यक्रम में पहुंचे थे जस्टिस यादव

विश्व हिंदू परिषद की विधि प्रकोष्ठ (लीगल सेल) ने 8 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें जस्टिस शेखर यादव और जस्टिस दिनेश पाठक सहित कई वक्ताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान ‘समान नागरिक संहिता: एक संवैधानिक अनिवार्यता’ विषय पर बोलते हुए जस्टिस यादव ने कहा, “देश एक है, संविधान एक है, तो कानून एक क्यों नहीं?”

उन्होंने तीन तलाक, हलाला और एक से अधिक विवाह जैसी प्रथाओं को खत्म करने की बात कही। अपने 34 मिनट लंबे भाषण में उन्होंने शाह बानो केस का जिक्र करते हुए कहा कि तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद झुकी थी। उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आलोचना करते हुए कहा, “हमें किसी का कष्ट देखकर कष्ट होता है, लेकिन उनके यहां ऐसा नहीं होता।”

समान नागरिक संहिता पर जोर

जस्टिस यादव ने कहा कि जिस नारी को देवी का दर्जा दिया जाता है, उसका निरादर नहीं हो सकता। चार पत्नियां रखने का अधिकार, हलाला और तीन तलाक अब नहीं चलेंगे। उन्होंने समान नागरिक संहिता को देश के लिए अनिवार्य बताते हुए कहा कि इसे जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।

उन्होंने देश में बहुसंख्यकों पर जोर देते हुए कहा, “यह हिन्दुस्तान है और हिन्दुस्तान में बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा। कानून बहुसंख्यक से ही चलता है। परिवार और समाज में भी जहां अधिक लोग होते हैं, उनकी ही बात मानी जाती है।”

मुस्लिमों को बताया देश के लिए घातक

जस्टिस यादव ने मुस्लिमों को ‘कठमुल्ला’ कहकर संबोधित किया। उन्होंने मुस्लिमों को देश के लिए घातक करार दिया और कहा कि ऐसे लोग जनता को बहकाते हैं और देश की प्रगति में बाधा डालते हैं। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का भी जिक्र किया और कहा, “हमारे पूर्वजों ने रामलला के मंदिर के लिए बलिदान दिया। आज हमने इसे बनते देखा है।”

क्या रहीं राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

जस्टिस यादव के बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने मुख्य न्यायाधीश से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की। उन्होंने लिखा, “वीएचपी के कार्यक्रम में शामिल हुए हाई कोर्ट के जज ने कहा कि देश हिंदुओं के मुताबिक चलेगा। क्या सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान देगा?” टीएमसी के पूर्व सांसद जवाहर सरकार ने जस्टिस यादव को उनके पद से हटाने की मांग की।

वहीं, बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने उनके बयान की तारीफ करते हुए कहा, “सच बोलने के लिए सैल्यूट है जस्टिस यादव को।”

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी उनके बयान की निंदा की है। आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने कहा, “एक न्यायाधीश का काम समाज को जोड़ने का होता है, न कि वैमनस्य बढ़ाने का।”

कौन हैं जस्टिस यादव

जस्टिस शेखर यादव ने 1988 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1990 में वकालत शुरू की। उन्होंने सिविल और संवैधानिक मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। 2019 में वे एडिशनल जज बने और 2021 में स्थायी जज नियुक्त हुए।

यह पहली बार नहीं है जब वे अपने बयानों के कारण विवादों में आए हैं। सितंबर 2021 में उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और उसकी सुरक्षा को हिंदू समाज का मूलभूत अधिकार बनाने की बात कही थी।

 

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