
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को लेकर संसद में गुरुवार को भारी हंगामा हुआ। जैसे ही संसद की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई, जबकि राज्यसभा में भी एक बार के संक्षिप्त स्थगन के बाद कार्यवाही जारी रही। विपक्ष का आरोप है कि जेपीसी रिपोर्ट में उनके डिसेंट नोट को शामिल नहीं किया गया, जो पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस रिपोर्ट को फर्जी करार देते हुए इसे खारिज करने की मांग की।
जेपीसी रिपोर्ट पर हंगामा, विपक्ष का विरोध
राज्यसभा में जब जेपीसी रिपोर्ट पेश की गई तो विपक्षी सदस्यों ने जबरदस्त नारेबाजी शुरू कर दी। सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष को समझाने की कोशिश की, लेकिन हंगामा जारी रहा, जिसके बाद सदन की कार्यवाही सुबह 11:20 बजे तक स्थगित कर दी गई।
दोपहर में जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर हंगामा किया। इस दौरान राज्यसभा में नेता जेपी नड्डा को बोलने का अवसर मिला। नड्डा ने विपक्ष के रवैये को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए इसकी निंदा की और कहा कि संसदीय परंपराओं और संवैधानिक प्रावधानों का सम्मान किया जाना चाहिए।
खड़गे बोले- फर्जी रिपोर्ट को नहीं मानेंगे
मल्लिकार्जुन खड़गे ने जेपीसी रिपोर्ट से विपक्षी सदस्यों के डिसेंट नोट हटाने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक और निंदनीय करार देते हुए कहा, “हमारा एक ही मुद्दा है कि वक्फ बिल की जेपीसी रिपोर्ट में हमारे कई सदस्यों ने डिसेंट नोट दिया था। लेकिन उन्हें रिपोर्ट से हटा दिया गया, जो पूरी तरह से गलत है। केवल बहुमत के विचार को शामिल करना अनुचित है।”
खड़गे ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट बनाने में असली स्टेकहोल्डर्स (हितधारक) की राय नहीं ली गई और नॉन-स्टेकहोल्डर्स को बुलाकर उनकी राय ली गई। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस रिपोर्ट को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेगा।
सभापति धनखड़ और खड़गे के बीच नोकझोंक
हंगामे के बीच जब सभापति धनखड़ ने खड़गे को बोलने के लिए बुलाया, तो विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे। इस पर धनखड़ ने कुछ विपक्षी सदस्यों के नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने सदन में अव्यवस्था फैलाई।
इस दौरान उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में खड़गे से कहा, “आपको गुस्सा नहीं आना चाहिए। अगर आपको गुस्सा आएगा, तो मुझे परेशानी होगी।”
जेपीसी रिपोर्ट को फिर से पेश करने की मांग
खड़गे ने मांग की कि जेपीसी रिपोर्ट को डिसेंट नोट के साथ दोबारा पेश किया जाए। उन्होंने कहा, “अगर संसदीय प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ, तो यह रिपोर्ट सदन का हिस्सा नहीं बन सकती। इसलिए अनुरोध है कि रिपोर्ट को वापस भेजा जाए और उसमें डिसेंट नोट जोड़े जाएं। यह किसी एक व्यक्ति का मुद्दा नहीं है। जो सांसद आक्रोशित हैं, वे पूरे समाज के लिए आक्रोशित हैं, जिनके साथ अन्याय हो रहा है।”
खड़गे ने सभापति से अनुरोध किया कि वे जेपीसी रिपोर्ट को खारिज कर दें और इसे दोबारा पेश करने का निर्देश दें।
क्या हैं जेपीसी रिपोर्ट के प्रमुख संशोधन
पुराना कानून (वक्फ एक्ट 1995 के तहत):
- वक्फ बोर्ड अगर किसी संपत्ति पर दावा करता है, तो केवल वक्फ ट्रिब्यूनल में ही अपील की जा सकती है।
- ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।
- किसी भी संपत्ति पर मस्जिद होने या इस्लामिक उद्देश्य के लिए उपयोग होने पर वह स्वचालित रूप से वक्फ संपत्ति मानी जाएगी।
- वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य धर्मों के सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति नहीं थी।
संशोधित वक्फ बिल:
- संपत्ति पर दावा करने वाले को ट्रिब्यूनल के अलावा राजस्व न्यायालय, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार मिलेगा।
- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
- जब तक किसी ने वक्फ को संपत्ति दान में नहीं दी होगी, वह वक्फ की संपत्ति नहीं मानी जाएगी, चाहे वहां मस्जिद बनी हो या नहीं।
- वक्फ बोर्ड में अब दो महिलाओं और अन्य धर्मों के दो सदस्यों को शामिल किया जाएगा।
क्या है वक्फ बोर्ड
वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के लिए बनाया गया कानून है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का संरक्षण और धार्मिक-चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इनका सही उपयोग सुनिश्चित करना है। वक्फ का अर्थ अरबी में रोकना या समर्पण करना होता है। वक्फ संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में समर्पित की जाती है। प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जो इन संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है। वक्फ संपत्तियों के विवादों के निपटारे के लिए विशेष न्यायालय गठित किया गया है।
क्या है वक्फ कानून का इतिहास
वक्फ एक्ट 1954 को संशोधित कर 1995 में नया कानून लाया गया। 2013 में इसमें और बदलाव किए गए। अब एक और संशोधन प्रस्तावित है, जिस पर विवाद जारी है।
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