लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर नाम लिखने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक जारी रहेगी। यूपी सरकार के जवाब दाखिल करने के बाद कोर्ट ने ये आदेश दिया। देश की शीर्ष अदालत में यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर शुक्रवार (26 जुलाई) को सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने यूपी सरकार के नेमप्लेट लगाने के निर्देश पर रोक लगाने का फैसला बरकरार रखा और कहा कि अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
यूपी सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा- कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने के सामान से भ्रम होता है। खासकर प्याज-लहसुन के इस्तेमाल को लेकर झगड़ा होता था। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को भी अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
22 जुलाई को हुई थी सुनवाई
सोमवार (22 जुलाई) को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि, दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर यूपी सरकार के आदेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें कांवड़ रूट पर पड़ने वाली दुकानों पर दुकानदारों का नाम लिखने का आदेश दिया गया था।
एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाओं में उत्तराखंड-एमपी के कुछ शहरों में ऐसे ही आदेशों का जिक्र किया गया था। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
पुलिस ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया : कोर्ट
सोमवार, 22 जुलाई को कोर्ट ने कहा था कि, होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है।
इस मामले में पुलिस ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा। तीनों राज्यों में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकान मालिकों को अपना नाम लिखने का आदेश दिया गया था। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने इसके खिलाफ 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
यूपी में 2 स्तर से जारी हुआ नाम लिखने का आदेश
17 जुलाई, पुलिस : मुजफ्फरनगर के SSP अभिषेक सिंह ने कहा कि, सभी होटल, ढाबा, दुकान और ठेले, जहां से कांवड़िए खाने का सामान खरीद सकते हैं, सभी को अपनी दुकान के बाहर मालिक का नाम और नंबर साफ अक्षरों में लिखना पड़ेगा। ऐसा करना इसलिए जरूरी था, ताकि कांवड़ियों में कोई कन्फ्यूजन न रहे। सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए ये कदम उठाना जरूरी था। जिले के करीब 240 किमी एरिया में कांवड़ मार्ग पड़ता है।
19 जुलाई, सरकार : मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद को सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया। सरकार ने कहा कि, कांवड़ियों की शुचिता बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया है। साथ ही हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी।
उत्तराखंड और MP के उज्जैन में भी आदेश जारी
यूपी के बाद उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी 20 जुलाई को कांवड़ यात्रा रूट पर आने वाली दुकानों में दुकानदारों का नाम और मोबाइल नंबर लिखना जरूरी कर दिया गया था। इस फैसले का समर्थन करते हुए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, कुछ लोग अपनी पहचान छिपाकर दुकान खोलते हैं।
वहीं उज्जैन में नगर निगम एक साल पहले ही यह आदेश दे चुका था। हालांकि, इस पर अमल नहीं हो रहा था। जिसके बाद उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल ने इस बार सावन के महीने में आदेश पर सख्ती से अमल करवाने की बात कही गई थी।
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