इंदौरमध्य प्रदेश

Diwali 2022 : महाकाल मंदिर में मनेगी सबसे पहले दीपावली, गर्म जल से स्नान करेंगे बाबा महाकाल; 25 को नहीं होगा पूजन-अभिषेक

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले दिवाली मनाई जाएगी। मंदिर में रूप चौदस और दीपावली का पर्व एक साथ मनाया जाएगा। गर्भगृह में अन्नकूट होगा और 56 भोग लगाए जाएंगे। भगवान महाकाल गर्म जल से स्नान करेंगे। 24 अक्टूबर को अल सुबह भस्म आरती के दौरान पुजारी फुलझड़ी जलाकर भगवान के साथ दीपावली पर्व की शुरुआत करेंगे। 25 अक्टूबर को ग्रहण होने से पूजन-अभिषेक नहीं होगा।

25 को ग्रहण होने से नहीं होगा पूजन-अभिषेक

महाकालेश्वर मंदिर के आंगन में सोमवार को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। रूप चौदस व अमावस्या एक ही दिन होने के चलते रूप चौदस को उबटन स्नान भी पुजारी परिवार की ओर से इसी दिन होगा। मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप गुरू ने बताया कि 24 अक्टूबर को भस्म आरती में पुजारी देवेंद्र शर्मा, कमल पुजारी के मार्गदर्शन में अन्नकूट होगा।

23 अक्टूबर को नंदी हॉल, गणेश मंडपम् को फूलों से सजाया जाएगा। 25 अक्टूबर को ग्रहण होने से गर्भगृह में पूजन-अभिषेक नहीं किया जाएगा। भस्म आरती के साथ दिन की आरती भी निर्धारित समय पर होगी। महाकालेश्वर को भोग में फल अर्पित किए जाएंगे। संध्या 5 बजे होने वाले पूजन का समय बदलेगा। इसे मोक्ष के बाद किया जाएगा।

फुलझड़ी से की जाएगी आरती

दीपावली भी कार्तिक अमावस्या की जगह कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन तड़के 4 बजे भस्म आरती में मनाई जाएगी। इस बार तिथि मतांतर के चलते 24 अक्टूबर को सुबह चतुर्दशी व शाम को अमावस्या तिथि है, जिसके चलते राजा और जनता एक ही दिन दीपावली मनाएंगे। तड़के 4 बजे भस्म आरती में भगवान महाकाल को केसर, चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद सोने चांदी के अभूषण तथा नवीन परिधान धारण कराकर दिव्य स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा। फिर अन्नकूट का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी।

अभ्यंग स्नान का संयोग

दीपावली पर भस्म आरती में पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को चंदन तेल, उबटन लगाएंगी। पुजारी के अनुसार इस बार दीपावली के साथ अभ्यंग स्नान का संयोग बन रहा है। अभ्यंग स्नान के अंतर्गत बाबा महाकाल को चंदन का तेल, चंदन का उबटन लगाया जाएगा। इसके बाद गर्म जल से स्नान करवाया जाएगा।

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25 को नहीं होगी गोवर्धन पूजा

25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण रहेगा। यह साल का आखिरी सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई देगा। ऐसे में जहां दिवाली, नरक चतुर्दशी के दिन ही मनाई जाएगी। वहीं गोवर्धन पूजा में एक दिन का समय बढ़ेगा। यानी 24 अक्टूबर को दिवाली मनाने के बाद 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। महाकाल मंदिर में ग्रहणकाल के दौरान पूजा-अर्चना नहीं होगी। शुद्धिकरण के बाद ही बाबा को स्पर्श किया जा सकेगा।

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