
यूक्रेन के मुद्दे पर अमेरिका और रूस के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रपति जो बाइडन ने नया बयान जारी किया है। बाइडन ने यूक्रेन में रहने वाले अमेरिकी नागरिकों से तुरंत यूक्रेन छोड़ने को कहा है। इसके लिए अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के हवाले से यूक्रेन संकट के मद्देनजर यह बात कही है।
जल्द खराब हो सकती है स्थिति!
बाइडेन ने कहा, अमेरिकी सैनिकों को भेजने का अर्थ “विश्व युद्ध”होगा। अमेरिकी नागरिकों को अब यूक्रेन छोड़ देना चाहिए। बिडेन ने कहा, ऐसा नहीं है कि हम एक आतंकवादी संगठन के साथ काम कर रहे हैं। हम दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक के साथ काम कर रहे हैं। यह एक बहुत ही अलग स्थिति है और चीजें जल्दी खराब हो सकती हैं।
यूक्रेन सीमा के पास रूसी सैनिक
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में रूस को एक नई चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसकी महत्वाकांक्षी गैस पाइप लाइन परियोजना नॉर्ड स्ट्रीम 2 को शुरू होने नहीं दिया जाएगा। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि रूस ने यूक्रेन के साथ सीमा के पास 100,000 से अधिक सैनिकों को जमा किया है। वहीं रूस लगातार जोर देकर कहता रहा है कि उसकी हमले की कोई योजना नहीं है।
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यह है विवाद की मुख्य वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। यूक्रेन के सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं।
अमेरिका को किस बात का है डर?
अमेरिका को डर है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा। वहीं रूस को आशंका है कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बना, तो नाटो के ठिकाने उसकी सीमा के नजदीक तक पहुंच जाएंगे। कभी पूर्वी यूक्रेन पुतिन समर्थक हुआ करता था।
नाटो क्या है
नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन(नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वॉशिंगटन में की गई थी। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है। इसमें फ्रांस, बेल्जियम, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, लक्जमर्ग, आइसलैण्ड, नार्वे, पुर्तगाल, अमेरिका, पूर्व यूनान, इटली, टर्की, पश्चिम जर्मनी और स्पेन शामिल हैं। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था। इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है।