
महाराष्ट्र। शिवसेना (उद्धव) के मुखपत्र ‘सामना’ ने एक बड़ा दावा किया है। सामना के संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की गई, लेकिन डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। लेख में महाराष्ट्र की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, भ्रष्टाचार और राजनीतिक खेल पर चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि शिंदे के पैसे जमा करने वाला मुख्य व्यक्ति 10,000 करोड़ रुपए लेकर दुबई भाग गया है क्योंकि फडणवीस राज्य में गलत कामों को खत्म करने का संकल्प ले चुके हैं। सामना के लेख में कई सनसनीखेज आरोप लगाए गए हैं।
3 सालों में भ्रष्टाचार का गटर बहता रहा, फडणवीस लाए अनुशासन
सामना के अनुसार, महाराष्ट्र में पिछले तीन वर्षों में भ्रष्टाचार चरम पर था, जिससे राजनीति सड़ चुकी थी। आर्थिक अनुशासनहीनता इस हद तक पहुंच गई थी कि विधायकों, सांसदों, नगरसेवकों और सच्चे शिवसेना पदाधिकारियों को खरीदने के लिए बड़े पैमाने पर धन का प्रवाह किया गया। सामना के लेख में कहा गया कि इस धन को जुटाने के लिए सड़क निर्माण, ठेकेदारों, MMRDA, MMRDC, MAHDA, SRA और शहरी विकास विभाग को लूटने का काम किया गया।
इसके अलावा, नेताओं और दलालों के गठजोड़ से फर्जी टेंडर्स, कमीशनखोरी, भूमि घोटालों और आवास निर्माण में दलाली के जरिए पैसे कमाए गए।
10 हजार करोड़ लेकर दुबई भागा शिंदे का करीबी
सामना के मुताबिक, शिंदे के मुख्य कलेक्टर (आशर प्रा. लिमिटेड) ने 10,000 करोड़ रुपए की हेराफेरी की और वह अब दुबई भाग गया है। लेख में सवाल उठाया गया कि अगर शिंदे और उनके करीबी अब भी बेफिक्र हैं, तो यह हैरानी की बात होगी।
500 करोड़ का टेंडर 3,000 करोड़ का कर भ्रष्टाचार किया गया
सामना के अनुसार, एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें 500 करोड़ रुपए के टेंडर को बढ़ाकर 3,000 करोड़ रुपए कर दिया गया। काम शुरू होने से पहले ही हजारों करोड़ रुपए एडवांस में ले लिए गए। इसमें से 100-200 करोड़ रुपए चेलों में बांटे गए और बाकी पैसा सफेद करने के लिए अलग-अलग जगहों पर लगाया गया।
PA और OSD की नियुक्ति पर फडणवीस ने लगाई रोक
सामना ने खुलासा किया कि फडणवीस ने मंत्रियों के OSD और PA की नियुक्ति के अधिकार छीन लिए हैं। मंत्रियों ने जिन 16 नामों की सिफारिश की थी, उनमें से CM फडणवीस ने सीधे 16 नाम खारिज कर दिए। इनमें से 12 नाम शिंदे गुट के मंत्रियों द्वारा सुझाए गए थे। लेख में सवाल किया गया कि आखिर मंत्रियों को इन फिक्सरों की जरूरत क्यों थी?
मंत्रालय में दलालों का मेला, 25 हजार करोड़ की दलाली का आरोप
सामना के लेख में दावा किया गया कि मंत्रालय में आम लोगों की पहुंच नहीं है, लेकिन दलालों की भरमार रहती है। PA और OSD के जरिए ये दलाल आसानी से मंत्रालय में प्रवेश कर जाते हैं। शिंदे के शासनकाल में मंत्रालय फिक्सरों और दलालों का अड्डा बन चुका था।
लेख के मुताबिक, सरकारी कामों का लगभग 90,000 करोड़ रुपए बकाया है, जिसमें से 25,000 करोड़ रुपए केवल दलाली के रूप में लिए जा चुके हैं।
शिंदे गुट पर आर्थिक संकट
सामना के अनुसार, शिंदे गुट का पूरा गणित बिगड़ चुका है और वे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। शिंदे गुट में जो लोग शामिल हो रहे हैं, वे या तो ठेकेदार हैं या सत्ता से सीधा लाभ लेने वाले लोग। अब जब फडणवीस सरकार ने भ्रष्टाचार पर कैंची चलाई है, तो ये सभी लोग असहज हो गए हैं।
मेट्रो प्रोजेक्ट में भी घोटाला
सामना में यह भी दावा किया गया है कि शिंदे कार्यकाल के दौरान MMRDA में भी कमीशनखोरी हुई। एक मेट्रो निर्माण कंपनी ने आरोप लगाया है कि उनके बिल जानबूझकर रोके जा रहे हैं।
फडणवीस की शिकायत करने शाह से मिले शिंदे
सामना के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने फडणवीस की सख्ती की शिकायत करने के लिए सुबह 4 बजे पुणे में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। शिंदे ने शाह से कहा, “फडणवीस हमारे पेट पर लात मार रहे हैं। अगर विधायकों और सांसदों का पेट खाली रहेगा, तो आपकी पार्टी नहीं बचेगी।” इसके विपरीत, सामना के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका भ्रष्टाचार मिटाने की है।
सामना में लिखा गया कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं, “बस मुझे भ्रष्टाचारियों के नाम बताओ, मैं सभी को ठीक कर दूंगा।” सामना का कहना है कि फडणवीस को शिंदे और उनके फिक्सरों के नाम मोदी को बताने में कोई परेशानी नहीं होगी।
शिंदे का राज ‘फिक्सिंग’ से आया
सामना ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में शिंदे का मुख्यमंत्री बनना भी फिक्सिंग के जरिए ही हुआ था। इससे राज्य में दलालों और फिक्सरों की भरमार हो गई। अब फडणवीस ने इस भ्रष्टाचार की फसल को खत्म करने का फैसला किया है।
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