इंदौरताजा खबरमध्य प्रदेश

कबाड़ में खड़े प्रशिक्षु विमान लौटे रनवे पर, भरेंगे लंबी उड़ान

मप्र फ्लाइंग क्लब में सफल रही जयपुर से लाए दो सेसना विमानों की ट्रायल उड़ान

नवीन यादव, इंदौर। जयपुर फ्लाइंग क्लब के वर्ष 2007 में बंद होने के बाद से वहां दो सेसना विमान पड़े-पड़े कबाड़ हो रहे थे। इन विमानों ने महज कुछ हजार घंटों की उड़ान भरी थी। एमपी फ्लाइंग क्लब इन विमानों को इंदौर लाया और एक विमान को तैयार कर भोपाल भेज दिया गया है, जबकि दूसरे विमान के मेंटेनेंस का काम पूरा हो गया है। अब डीजीसीए (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की मंजूरी के बाद इसे भी भोपाल भेज दिया जाएगा।

एमपी फ्लाइंग क्लब द्वारा इंदौर और भोपाल एयरपोर्ट पर संचालन किया जाता है। यहां हर साल 15 से अधिक पायलट तैयार किए जाते हैं। यहां के चीफ इंस्ट्रक्टर मंदार महाजन ने बताया कि जयपुर से हम सेसना 172 चार सीटर और सेसना 152 दो सीटर विमान लाए थे। सेसना 172 विमान का मेंटेनेंस कर भोपाल भेज दिया है, दूसरे विमान का मंगलवार को ट्रायल लिया गया, जिसमें सब ठीक है। अब हमारे पास दोनों जगह मिलाकर आठ विमान हो जाएंगे।

दोनों विमानों की लंबी फ्लाइंग है बाकी

महाजन ने बताया कि जानकारी मिलने पर हम इसका निरीक्षण करने गए। वहां पता चला कि काफी समय से ये विमान खड़े हैं। आमतौर पर सेसना विमान की औसत आयु 30 हजार फ्लाइंग घंटे होती है, लेकिन ये दोनों विमान केवल 4 और 5 हजार घंटे ही उड़े थे इसलिए हमने इन्हें ले लिया है। महाजन ने बताया कि पिछले साल ही हमने दो विमानों को रिटायर किया है। दोनों विमानों ने 30 हजार घंटे की औसत आयु पूरी कर ली थी। एक विमान को एक एयरो इंजीनियरिंग क्लब को दे दिया गया है, जबकि दूसरा विमान हमें एयरो क्लब ऑफ इंडिया से मिला था। उनसे मार्गदर्शन मांगा जा रहा है कि इस विमान का क्या करें।

गौरवशाली इतिहास रहा है फ्लाइंग क्लब का

जानकारी के अनुसार एमपी फ्लाइंग क्लब की स्थापना 9 अक्टूबर 1951 को हुई थी। पहले सरकारी विमानों का रखरखाव यहीं होता था। 1962 और 1971 के युद्ध में वायुसेना के रखरखाव की जिम्मेदारी भी एमपी फ्लाइंग क्लब ने ली थी। अब तक यहां से एक हजार से अधिक पायलट तैयार हो चुके हैं।

संबंधित खबरें...

Back to top button