तिरुपति। आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शन के टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई। हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक महिला भी शामिल है और 40 लोग घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु टोकन लेने के लिए इकट्ठा हुए थे, जिससे भगदड़ मच गई। हादसा तिरुपति के विष्णु निवासम आवासीय परिसर में हुआ, जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी। भगदड़ के कारण कई लोग दब गए और उनकी जान चली गई।
पीेएम समेत कई नेताओं ने जताया दुख
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस हादसे पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने फोन पर उच्च अधिकारियों से स्थिति की जानकारी ली और घटनास्थल पर जाकर राहत कार्य शुरू करने का आदेश दिया, ताकि घायलों को बेहतर इलाज मिल सके। वे गुरुवार को तिरुपति जाकर घायलों से मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त किया है।
कैसे मची भगदड़
भगदड़ बुधवार रात 9:30 बजे वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास हुई। पवित्र वैकुंठ एकादशी के मौके पर हजारों श्रद्धालु तिरुपति के दर्शन के लिए टोकन लेने पहुंचे थे। गुरुवार सुबह 5 बजे से 9 काउंटरों पर टोकन बांटे जाने थे। तिरुपति में 8 स्थानों पर टिकट वितरण केंद्र बनाए गए थे। लेकिन इस खास अवसर पर श्रद्धालु पहले से ही इन काउंटरों पर जमा हो गए थे। शाम को एक स्कूल के काउंटर पर भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। हर साल वैकुंठ एकादशी पर तिरुपति में भारी भीड़ होती है।
10 जनवरी को खोला जाना था द्वार
मंगलवार (7 जनवरी) को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने बताया था कि 10 से 19 जनवरी तक वैकुंठ एकादशी पर वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए खोले जाएंगे। सुबह 4.30 बजे से प्रोटोकॉल दर्शन शुरू होगा, फिर सुबह 8 बजे से सामान्य दर्शन शुरू होंगे। लोग टोकन लेने के लिए लाइन में लगे हुए थे। टोकन 9 जनवरी से बांटे जाने थे, लेकिन लोग 8 जनवरी से ही जमा होने लगे, जिससे भगदड़ की घटना हुई। इन 10 दिनों में करीब 7 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
भारत का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है तिरुपति
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर स्थित है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था और इसकी प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी।
कहा जाता है कि जब भगवान वेंकटेश्वर ने पद्मावती से विवाह किया था, तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया था। इस कर्ज का ब्याज अभी भी भगवान पर है, और श्रद्धालु इसे चुकाने के लिए दान करते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।