
राजीव सोनी-भोपाल। बेशकीमती हीरों और मंदिरों के शहर पन्ना में भगवान जुगल किशोर मंदिर का जन्माष्टमी उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है। साल भर में एकमात्र यही दिन है जब भगवान दुर्लभ हीरों से जड़ित खास मुरली और आभूषण धारण कर भक्तों को दर्शन देते हैं। यहां हीरा खोजने वाले ज्यादातर कारोबारी खदान का पट्टा लेकर पहले ‘सरकार’ (श्रीकृष्ण) के दरबार में अर्जी लगाने की परंपरा निभाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को ‘पार्टनर’ भी बना लेते हैं। हीरा मिलने की ‘क्रेडिट’ भी उन्हें ही देते हैं। खदान लगाने वालों में हिंदुओं के अलावा मुस्लिम, जैन, सिख और सिंधी भी हैं, हीरा मिलते ही वे जुगल किशोर का जयकारा लगाते हैं।
हीरों की तलाश कर रहे पन्ना के कारोबारी सुशील शुक्ला को पिछले साल ही 26.11 कैरेट का जेम क्वालिटी का 1.61 करोड़ रुपए कीमत का हीरा मिला था। वह कहते हैं मेरे लिए यह जुगल किशोर का आशीर्वाद ही है। वह बताते हैं कि उनके कई जैन, सिंधी, सिख और मुस्लिम मित्र भी हैं जिन्होंने जुगल किशोर दरबार में हीरों के लिए अर्जी लगाई है। सभी की भगवान श्रीकृष्ण में पूरी आस्था है।
राजशाही की परंपरा
भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय नागाइच बताते हैं कि 300 साल पुराना जुगल किशोर मंदिर दुनिया में विख्यात है। यहां जन्माष्टमी की परंपरा राजशाही जमाने से चली आ रही है। प्रसिद्ध जुगल किशोर, प्राणनाथ, श्रीकृष्ण प्रणामी, बलदेवजी, जगन्नाथ, चौमुखनाथ , रामजानकी मंदिरों के कारण शहर की पहचान बुंदेलखंड के वृंदावन के रूप में है।
यहां जगह-जगह बिखरे पड़े हैं हीरे
पन्ना के आसपास दहलान चौकी, सकरिया चौपड़ा, सरकोहा, कृष्णा कल्याणपुर (पटी), राधापुर और जनकपुर की धरती में हीरे दबे पड़े हैं। इटवां सर्किल में हजारा मुड्ढ़ा, किटहा, रमखिरिया, बगीचा, हजारा व भरका गांव भी हीरा खदानों में शामिल हैं।
सैकड़ों साल पुरानी है परंपरा
पन्ना में सैकड़ों साल से यह परंपरा चली आ रही है। भगवान के भक्तों में सभी धर्मों के लोग हैं। हीरों की खदान में जैसे ही हीरा मिलता है जोर-जोर से जयकारे लगते ही हैं। पन्ना के जुगल किशोर मुरलिया में हीरा जड़े हैं, बुंदेली गीत जन्माष्टमी पर घर-घर में गाते हैं। – कुसुम सिंह महदेले पूर्व मंत्री