भोपाल। देखो भैय्या कारम डैम का काम शुर तो हुई ग्यो है पर यो दिक्कत है कि पिछे साल जैसो भ्रष्टाचार नी होनू चाईये , अगर ई कारम डैम को काम पुरो हुई जाई तो किसाना की फसल खुब लहलहाई जाईगी ..और फायदो होगो। क्युकी इ कारण हमारी नाक पुरा देश में कटी थी। यह बात धार के किसान रमेश दा ने तब बोली जब पीपुल्स संवाददाता ने उन्हें बताया कि कारम डैम का काम शुरू हो गया है। दरअसल कारम बांध का निर्माण शुरू हो गया। अब इसमें रिसाव रोकने के लिए तीन लेयर बिछाई जाएंगी जिसमें से एक काली मिट्टी की होगी।
बांध का निर्माण कर रही सार्थक कंपनी 15 किमी दूर से दो लाख टन काली मिट्टी लाकर डैम के पास ढेर लगा रही है। अभी एक लाख 65 हजार टन काली मिट्टी जुटा ली गई है, वहीं 70 लाख टन की तलाश जारी है। इधर सार्थक कंपनी ने डैम बनाने का काम शुरू कर दिया है। पूरा खर्च कंपनी को ही अपनी जेब से करना होगा। सरकार ने इस काम को पूरा करने के लिए जून 2025 तक का समय तय किया है।
पुरानी गलतियों से सबक
इस बार डैम से लगी हुई नहर में कांक्रीट किया जाएगा। इसके अलावा बांध को चरणबद्ध तरीके दो साल में भरा जाएगा। बांध के कटवा निर्माण के साथ ही पूरे पिचिंग का काम भी किया जाएगा। इसके साथ ही दीवार की पिंचिंग के साथ उसकी मोटाई बढ़ाई जाएगी।
52 गांवों को होगा फायदा
कारम बांध बनने से 52 गांवों के हजारों किसानों को लाभ मिलेगा। इनमें धरमपुरी के 27, उमरबन के 7 और महेश्वर तहसील के 8 गांव शामिल हैं। करीब 10500 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
अगस्त 2022 में फूटा था बांध
ग्राम कोठीदा में 304 करोड रुपए की लागत से कारम बांध का निर्माण किया गया था। अगस्त 2022 में बांध में रिसाव होने से 42 गांवों को खाली करवाया गया था। बांध में एक तरफ से चैनल बनाकर पानी की निकासी की गई थी।
घर-खेतों से बेदखल हुए थे किसान
कारम बांध में रिसाव की वजह से आई बाढ़ की वजह से कई किसानों के परिवार बेघर हो गए। 2 साल बाद भी इस क्षेत्र के प्रभावित किसान अपनी जमीन में फैले पत्थरों व बाढ़ में आई रेती के कारण खेत में उपज नहीं ले पा रहे हैं। खेतों की उपजाऊ मिट्टी भी बह गई। प्रशासन के अधिकारी आश्वासन देकर गए थे कि आपको फसल और उजड़े घरों का मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन 2 वर्ष बाद भी आश्वासन के सिवाय उन्हें कुछ नहीं मिला है।
बांध निर्माण की तैयारियां शुरू
बांध के निर्माण की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। बांध तक मटेरियल लाने और ले जाने के लिए सड़क बनाई जा रही है। तल में तीन लेयर बनाई जाएगी, जिसमें एक काली मिट्टी की होगी। -शिरीष मिश्रा, ईएनसी जल संसाधन विभाग