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आदिवासी सीटों के लिए जयस और ‘बाप’ में फंस सकता है पेंच

भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनौती: लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिमी मप्र की 3 सीटों पर है इन संगठनों का फोकस

नरेश भगोरिया। लोकसभा चुनाव के लिए आदिवासी संगठनों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। आदिवासी युवाओं के संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति जयस के अलावा इस बार आम चुनाव में प्रदेश की अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षित सीटों पर इस बार भारत आदिवासी पार्टी भी सक्रिय भूमिका में है। जयस जहां कांग्रेस के चुनाव पर अपने प्रत्याशी उतारने की कोशिश करेगी तो भारत आदिवासी पार्टी अपनी अलग लाइन तैयार कर सकती है। दोनों ही संगठनों ने अंदर ही अंदर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। अगर आदिवासी समाज का अलग संगठन मैदान में सक्रिय होता है तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए इस वर्ग के वोटों को एकजुट रखना एक और जिम्मेदारी होगी।

मप्र के पूर्व और पश्चिमी और मध्य क्षेत्र में आदिवासी आरक्षित सीट हैं। इनमें पूर्व में शहडोल और मंडला सीट हैं तो पश्चिमी मप्र में रतलाम, धार, खरगोन तो मध्य क्षेत्र में बैतूल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है। बैतूल संसदीय सीट में हरदा जिला भी शामिल है। पिछले लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा जीती थी। भाजपा अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करेगी तो कांग्रेस का प्रयास होगा कि सीटों पर सेंध लगा सके। आदिवासी संगठनों की सक्रियता दोनों दलों के लिए चुनौती हो सकती है।

जयस आदिवासी सीट पर कांग्रेस से करेगी दावेदारी

जय आदिवासी युवा शक्ति ने विधानसभा चुनाव में प्रदेश में चार सीटों मनावर, रतलाम ग्रामीण, सेंधवा और बागली से जयस के प्रत्याशियों को कांग्रेस से टिकट दिलवाया था। इनमें से मनावर, सेंधवा सीट पर कांग्रेस विजयी हुई। जयस अब लोकसभा में भी आदिवासी सीट पर दावा करेगा। जयस के प्रभाव वाले पश्चिमी मप्र में किसी एक सीट पर जयस सदस्य को कांग्रेस उम्मीदवार बनाने की मांग की जाएगी। इस संबंध में जल्दी ही एक बैठक दिल्ली और भोपाल में आयोजित की जाएगी।

कमलेश्वर डोडियार कर रहे क्षेत्र का दौरा

उधर, सैलाना सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार विधायक बने। राजस्थान बॉर्डर से सटे जिले रतलाम के सैलाना से विजयी हुए कमलेश्वर पूर्वी मप्र तक दौरा कर चुके हैं। उनके मुताबिक पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी सक्रियता बढ़ाते हुए प्रत्याशी खड़ा करने की तैयारी की है। हाल ही में रतलाम में आदिवासियों ने एक अलग आंदोलन किया था। अगर बीएपी भी लोकसभा चुनाव में उतरती है तो आदिवासी वोटों को लेकर कांग्रेस की चिंता बढ़ सकती है।

आदिवासियों को एक रखना ही हमारा लक्ष्य

लोकसभा चुनाव में आदिवासी वोटों को एकसाथ रखना हमारा लक्ष्य है। कुछ सीटों पर योग्य उम्मीदवारों के नाम पार्टी को सुझाएंगे। पूरी कोशिश करेंगे कि जो नाम सुझाएं, उसे जिताकर भी लाएं। -डॉ. हिरालाल अलावा, विधायक मनावर

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